Mahabharata | संजय वेद व्यास के शिष्य थे और वह धृतराष्ट्र (Dhritarashtra) की राजसभा में सम्मानित सदस्य होने के साथ ही धृतराष्ट्र के सारथी थे लेकिन पेशे से एक बुनकर (जुलाहे) थे जो विन्रम व धार्मिक स्वभाव के थे और स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध भी थे गलत को गलत कहने से जरा भी नही चूकते थे महाभारत के युद्व से पहले संजय (Sanjay) ने कई बार धृतराष्ट्र को समझाने का प्रयत्न किया था. जब कौरव पांडवों में युद्ध की घोषणा हुई तो महर्षि वेदव्यास राजा धृतराष्ट्र की सभा में आए थे. महर्षि वेदव्यास त्रिकालदर्शी थे जो अपनी दिव्य दृष्टि से जान चुके थे कि कलियुग में धर्म कमजोर हो जाएगा.
धृतराष्ट्र युद्ध का पूरा विवरण व हाल जानना चाहते थे किन्तु धृतराष्ट्र नेत्रहीन थे और धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध का पूरा हाल सुनाने के लिए महर्षि वेदव्यास ने संजय (Sanjay) को दिव्य दृष्टि प्रदान किया. संजय ने अपनी इस दिव्य दृष्टि से कुरुक्षेत्र में हुई एक एक क्षण की घटना को देखते और धृतराष्ट्र को सुनाते रहते उन्होंने युद्ध शुरू होने से लेकर कौरव – पांडवों की सेनाओं और योद्धा का भयानक विनाश होने का पूरा वृतान्त सुनाया.
कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने जब अर्जुन को गीता उपदेश देने के बाद अपना विराटरूप दिखाया जिसे अर्जुन के अलावा संजय ने भी अपनी दिव्य दृष्टि से देखा था. ग्रँथों में उल्लेख है कि गीता का उपदेश श्रीकृष्ण के मुख से समस्त संसार में केवल दो लोगों ने सुना एक अर्जुन जिसे खुद श्रीहरि उपदेश सुना रहे थे और दूसरे संजय जो दिव्य दृष्टि से दोनों का वार्तालाप सुन रहे थे. यह देखने के बाद संजय जान चुके थे कि श्रीकृष्ण साक्षात भगवान विष्णु हैं और वे जिस ओर हो जीत उन्हीं की होगी इसलिए संजय ने पांडवों की जीत की घोषणा युद्ध के शुरुआत में ही कर दी थी.
Mahabharata | आइए जानें कि महाभारत युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उनको पत्थर क्यों बना दिया :
महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद संजय ने युधिष्ठिर का राज्याभिषेक देखने के बाद सन्यास लेने के बाद हिमालय चले गए जहां उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की कठिन तपस्या किया और उनकी कठिन तप से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए और संजय से बोले – मैं तुम्हारी तपस्या से बहुत खुश हूं जो चाहो मुझसे मांग लो इस पर संजय श्रीकृष्ण से बोले – प्रभु ! मैंने महाभारत युद्ध में अधर्म का साथ दिया है इसलिए आप मुझे पत्थर बना दीजिए और जब तक आपका पुनः पृथ्वी पर अवतार न हो तब तक मैं इसी हिमालय पर पत्थर के रूप में आपकी भक्ति करता रहूं. भगवान श्रीकृष्ण ने भक्त संजय का मान रखते हुए उनको अपने शालग्राम के रूप में परिवर्तित करके हिमालय पर स्थापित कर दिया.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
महर्षि वेदव्यास ने किसको दिव्य दृष्टि प्रदान किया था ?
संजय
संजय कौन थे ?
संजय धृतराष्ट्र के सारथी थे.
कुरुक्षेत्र में गीता उपदेश को अर्जुन के अलावा किसने सुना था ?
संजय ने.
संजय ने हिमालय में किस भगवान की कठिन तपस्या किया ?
भगवान श्रीकृष्ण.
संजय ने भगवान श्रीकृष्ण से वरदान में क्या मांगा ?
खुद को पत्थर बनाने का वरदान मांगा.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.