Sawan Month | भगवान शंकर की उपासना के लिए सावन मास को खास माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान शंकर को सावन का महीना बहुत ही प्रिय हैं. कहा जाता हैं कि सावन (Sawan) में भगवान शंकर की पूजा करने से जीवन सफल होता है और भक्तों को सारे कष्टों से मुक्ति मिलती हैं और इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं कहा तो ये भी जाता हैं कि सावन माह में शंकर भगवान और उनके समस्त परिवार की पूजा अर्चना करने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं.
भगवान शंकर को सावन का महीना (Sawan Month) क्यों प्रिय है?
भगवान शंकर को सावन का महीना प्रिय होने के कई कारण के साथ कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिसमे साफ जाहिर होता है कि भगवान शंकर को सावन महीना प्रिय क्यों है.
1) सावन मास में शंकर जी ससुराल आते हैं –
पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन के मास में शंकर जी (Shiv) अपने ससुराल में निवास करते हैं. ग्रन्थों में बताया गया है कि शंकर जी का ससुराल हरिद्वार के कनखल में है यहां स्थित दक्ष मंदिर में माता सती और महादेव का विवाह हुआ था. शिवपुराण के अनुसार दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन यहीं कनखल में किया था. इस यज्ञ में दक्ष प्रजापति ने सबको आमंत्रित किया किन्तु शंकर जी को नहीं बुलाया फिर भी माता सती यज्ञ में गई वहां उनके पिता दक्ष ने शंकर जी के लिए अपशब्द बोलकर अपमान जिसे देवी सती सहन नहीं कर पाई और उसी यज्ञ में अपनी प्राणों की आहुति दे दी. सती माता के अग्निदाह करने पर शंकर जी के गण वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति का सिर काट दिया था लेकिन सभी देवताओं की विनती सुनकर महादेव ने दक्ष प्रजापति को बकरे का सिर लगाकर उन्हें पुनः जीवन दान दिया. दक्ष प्रजापति ने भी शंकर भगवान से अपनी इस अपराध के लिए क्षमा मांगी और उनसे वचन लिया कि हर साल सावन में यहीं आएंगे जिससे कि वह उनकी सेवा कर सके. माना जाता हैं कि तभी से भगवान शंकर धरती यानि कि अपने ससुराल आते हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन किया करते हैं.
2) सावन के महीने में ही समुंद्र मंथन हुआ था –
धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन के महीने (Sawan Month) में ही समुंद्र मंथन हुआ था जिसमे कालकूट विष निकला जिसे ना तो देवताओं और ना ही दानवों ही लेना चाहते थे तब भगवान शंकर ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुंद्र मंथन से निकले हुए विष को ग्रहण किया था लेकिन विष का ताप बहुत ज्यादा होने के कारण शंकर भगवान का शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म होने लगा जिनसे देवों के देव महादेव को काफी परेशानी होने लगी थी तब भगवान शंकर को इस परेशानी से निकालने के लिए इंद्रदेव ने बहुत ही तेज बारिश करवाई थी इस तरह से सावन माह में ही भगवान शंकर ने विषपान करके सृष्टि की रक्षा किया था.
3) सावन मास में ऋषि मार्कण्डेय ने भगवान शंकर की घोर तपस्या –
भगवान शंकर को सावन माह प्रिय होने के कारण में ये भी है कि इसी सावन मास में ऋषि मार्कण्डेय ने अपनी लंबी आयु के लिए भगवान शंकर की घोर तपस्या करके शंकर जी की कृपा को प्राप्त किया था और उनसे मिली मंत्र शक्तियों के आगे मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे और अल्पायु मार्कण्डेय दीर्घायु हो गए.
इन सारे कारणों की वजह से मान्यता हैं कि सावन का मास भगवान शंकर को प्रिय होने से अगर कोई भक्त इस सावन माह में भगवान शंकर की श्रद्धा भाव से पूजा करता है तो उसे सारे कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ उसे अर्थ – काम – मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
भगवान शंकर को कौन सा महीना बहुत प्रिय हैं ?
सावन का महीना.
किसने दक्ष प्रजापति का सिर काटा था ?
शंकर जी के गण वीरभद्र.
ऋषि मार्कण्डेय ने किसकी घोर तपस्या करके लंबी आयु को प्राप्त किया था ?
भगवान शंकर
ग्रन्थों के अनुसार भगवान शंकर का ससुराल कहाँ स्थित हैं?
हरिद्वार के कनखल में.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.