Kashi Vishwanath Jyotirlinga | जानते है भगवान शिव के सातवें ज्योतिर्लिंग बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से, और इनकी पौराणिक कथा और रहस्यों को.

Kashi Vishwanath Jyotirlinga

Kashi Vishwanath Jyotirlinga | काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 (बारह) ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं जो कि वाराणसी में गंगा नदी के पश्चिम घाट पर स्थित हैं. मान्यता है कि काशी भगवान शिव और माता पार्वती का सबसे प्रिय स्थान में से एक माना जाता हैं. कहा जाता है कि यहां बाबा विश्वनाथ के महादेव के दर्शन करने से पहले भैरव जी के दर्शन करना जरूरी होता हैं क्योंकि माना जाता है कि भैरव जी के दर्शन किए बिना बाबा विश्वनाथ के दर्शन का लाभ नहीं मिलता. मान्यता है कि काशी में मरने वाले व्यक्ति को मोक्ष अवश्य प्राप्त होता हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता हैं कि भगवान शिव स्वयं मरते हुए प्राणियों के कानों में तारक मंत्र का उच्चारण करते हैं जिससे घोर से भी घोर पापी को भी मुक्ति मिल जाती हैं यही कारण हैं कि पुराणों में इस नगर को मोक्ष नगरी कहा गया है.

51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ मणिकर्णिका शक्तिपीठ हैं जोकि काशी में मीरघाट में स्थित हैं. यहां सती देवी के दाहिने कान की मणि गिरी थी इसलिए इस स्थान का नाम मणिकर्णिका शक्तिपीठ पड़ा. ऐसा कहा जाता हैं कि भगवान शिव ने इस नगरी को अखिल ब्रह्मांड के रूप में बसाया हैं यहां 33 कोटि देवी – देवताओं का वास है जहां नौ गौरी देवी, नौ दुर्गा, अष्ट भैरव, 56 विनायक और 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान है. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में विभाजित है, ज्योतिर्लिंग के दायें भाग में माता पार्वती और बाएं भाग में भगवान भोलेनाथ सुंदर रूप में विराजमान हैं. काशी तीनों लोकों में सबसे अच्छा शहर हैं जिसे दुनिया का सबसे पुराना जीवित शहर माना गया है. इसे आनंदवन,आंनदकानन और अविमुक्त क्षेत्र से जाना जाता हैं.

Kashi Vishwanath Jyotirlinga | काशी विश्वनाथ मंदिर की पौराणिक कथा :

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर पार्वती जी से विवाह करने के बाद वापस अकेले कैलाश पर्वत पर रह रहे थे और पार्वती जी अपने पिता के घर में ही विवाहित जीवन को बीता रही थी लेकिन पार्वती जी को इस प्रकार का जीवन बिताना अच्छा न लगता था. एक दिन उन्होंने भगवान शंकर से कहा कि आप मुझे अपने घर ले चलिए पिता के घर में रहना मुझे अच्छा नहीं लगता. इस बात को भगवान शंकर ने इस बात को स्वीकार कर लिया और तब भगवान शंकर माता पार्वती जी को अपने साथ लेकर अपनी पवित्र नगरी काशी आ गए. यहां आकर भगवान शंकर विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए.

Kashi Vishwanath Jyotirlinga | विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक और पौराणिक कथा :

स्कन्द पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार श्रीहरि भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच इस बात को लेकर बहस हो गई कि कौन अधिक  शक्तिशाली हैं धीरे धीरे यह विवाद इतना बढ़ता गया कि भगवान शिव की मध्यस्थता करना पड़ा और उन्होंने एक विशाल ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया, इसके बाद उन्होंने ब्रह्माजी और विष्णु जी से इसके स्रोत और ऊँचाई का पता लगाने के लिए कहा. इसे सुन ब्रह्माजी अपने हंस पर सवार होकर इसके अंत का पता लगाने के लिए चल पड़े वहीं दूसरी ओर श्रीहरि भगवान विष्णु गरुड़ पर सवार होकर ज्योतिर्लिंग का स्त्रोत का पता लगाने के लिए निकल पड़े. कहा जाता हैं कि कई वर्षों तक दोनों ज्योतिर्लिंग के स्रोत और अंत का पता लगाने की कोशिश करते रहे अंत में विष्णुजी हार मानकर भगवान शिव के समाने नतमस्तक हो गए लेकिन वहीं दूसरी ओर ब्रह्माजी ने अपनी हार को स्वीकार नहीं किया और झूठ बोल देते है कि उन्होंने इस ज्योतिर्लिंग के अंत का पता लगा लिया है. इसे सुनकर भोले नाथ क्रोधित हो जाते हैं और ब्रह्माजी को श्राप देते हैं कि उनकी कभी पूजा नहीं होगी कहा जाता हैं कि इस ज्योतिर्लिंग से पृथ्वी के भीतर जहां भी भगवान शिव का दिव्य प्रकाश निकला था वो 12 ज्योतिर्लिंग कहलाया काशी विश्वनाथ मंदिर भी इन्ही ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं.

Kashi Vishwanath Jyotirlinga | काशी विश्वनाथ मंदिर के रहस्य :

1) मान्यता के अनुसार काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है जिसके प्रभाव से प्रलह के समय भी इस नगरी का विनाश नहीं होगा.

2) काशी विश्वनाथ मंदिर को सोने का मंदिर भी कहा जाता हैं मंदिर के गुंबद को सोने का बनाया गया हैं जिसके लिए पंजाब के महाराज रंजीत सिंह ने सोना दान में दिया था.

3) काशी विश्वनाथ मंदिर के गुंबद में लगे श्रीयंत्र के बारे में कहा जाता हैं कि को भी भक्त उस श्रीयंत्र की ओर देखकर बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना करते हैं उनकी मनोकामना को औढरदानी शिव  बहुत जल्द ही पूरी करते हैं.

4) ऐसी मान्यता है कि पवित्र नदी गंगा में स्नान करके काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.

5) ऐसा माना जाता हैं कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तो सूर्य की पहली किरण काशी पर ही पड़ी थी.

6) मंदिर के गर्भगृह में मंडप और शिवलिंग है यह चांदी की चौकौर वेदी में स्थापित है वहीं मंदिर परिसर में कालभैरव, भगवान विष्णु और विरुपाक्ष गौरी के भी मंदिर है.

7) काशी विश्वनाथ मंदिर की पूजा करने की मान्यता है कि जो कोई भी शिव भक्त  बाबा विश्वनाथ
    ज्योतिर्लिंग का स्पर्श, पूजन करता है उसको राजसूय यज्ञ का पुण्य का फल मिलता है.


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FAQ – सामान्य प्रश्न

भगवान शिव का सातवां ज्योतिर्लिंग किस राज्य में और कहां पर स्थित हैं ?

उत्तर प्रदेश के वाराणसी ( काशी) में गंगा नदी के पश्चिम घाट पर.

काशी को किस और नाम से भी जाना जाता हैं ?

मोक्ष नगरी.

काशी में किस नाम का सती माता का शक्तिपीठ हैं ?

मणिकर्णिका घाट.

मणिकर्णिका घाट में सती माता का कौन सा अंग गिरा है ?

दाहिने कान मणि.

काशी नगरी भगवान शिव के किस शस्त्र पर टिका है ?

त्रिशूल


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