Jagannath Puri | आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में हर सुबह सबसे पहले भगवान को खिचड़ी (khichdi) का भोग लगाया जाता हैं ? क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा.

jagarnath puri

Jagannath Puri | हिंदू धर्म में चार धाम है जिसकी यात्रा करना बहुत ही सौभाग्य और पुण्यदायक मानी गई हैं ऐसी मान्यता है कि जो कोई चारधाम की यात्रा करते हैं उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है और स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं. चारधाम में से एक धाम है जगन्नाथ पुरी धाम जोकि भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित हैं. जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri) मंदिर विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित हैं. पुरी के इस मंदिर में जगन्नाथ जी की मूर्ति है जो भगवान श्री कृष्ण का ही स्वरूप है. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रादेवी के साथ विराजमान हैं. कहा जाता हैं कि इस जगन्नाथ मंदिर में रोजाना भगवान को खिचड़ी (khichdi) का भोग (Bhog) लगाया जाता है.

Jagannath Puri | आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में.

पौराणिक कथानुसार कई वर्षों पहले जगन्नाथ पुरी में भगवान श्री कृष्ण की परम उपासक कर्मा बाई जी रहती थी. कर्मा बाई जी बचपन से ही भगवान को पुत्र रूप में भजति थीं. एक दिन कर्मा बाई की इच्छा हुई कि फल मेवे न खिलाकर बल्कि अपने हाथों से कुछ बनाकर ठाकुरजी को खिलाऊँ और अपनी ये इच्छा उन्होंने प्रभु जगन्नाथ को बतलायी, इस पर एक दिन प्रभु जी बोले ” माँ ! जो भी आज बनाया है वहीं खिला दो, बहुत भूख लगी हैं उस दिन संयोग से कर्मा बाई ने खिचड़ी बनाई थी तो वहीं बनी खिचड़ी ठाकुरजी को दे दी और प्रभु ने भी बड़े ही भाव और चाव से खिचड़ी खाने लगें. जब प्रभु ने खिचड़ी खा लिया तो उन्होंने कर्मा बाई दे कहा – माँ ! मुझे तो खिचड़ी बहुत अच्छी लगी ,आप मेरे लिए रोज खिचड़ी की पकाना, मैं तो यहीं आकर खाऊंगा. अब तो हर सुबह कर्मा बाई उठती और सबसे पहले खिचड़ी (khichdi) बनाती उसके बाद ही बाकी दूसरे काम किया करती और फिर भगवान सुबह सुबह आते भोग लगाते और खिचड़ी खाने के बाद चले जाते, अब ये नित्य का काम था जोकि बड़े श्रद्धा व प्रेम से कर्मा बाई किया करती.

एक बार एक महात्मा जी कर्मा बाई आएं तो उन्होंने देखा कि कर्मा बाई बिना कोई कार्य किये बैगर सुबह सुबह खिचड़ी बना रही हैं ये देखकर वो महात्मा नाराज़ हो गए और उसी नाराजगी में उसने कर्मा बाई से कहा – “माता जी ! ये आप क्या कर रही हैं? सबसे पहले नहा धोकर पूजा पाठ करने के बाद दूसरा अन्य कार्य करने चाहिए” इस पर कर्मा बाई बोली – मैं क्या करूँ ? महाराज जी ! जिस भगवान की पूजा अर्चना संसार किया करते हैं वहीं मेरे यहां भूखे आ जाते हैं. इसलिए सारे काम को छोड़कर सबसे पहले उनके लिए खिचड़ी बनाती हैं. कर्मा बाई की बात को सुनने के बाद महात्मा जी कर्मा बाई को समझाते हुए कहने लगे – सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले रसोई घर की सफाई किया करो और उसके बाद ही भगवान के लिए भोग बनाया करो. कर्मा बाई ने अगले दिन ऐसा ही किया जैसा कि महात्मा जी ने कहा था लेकिन जैसे ही सुबह हुई और भगवान आकर बोले “माँ ! मैं आ गया हूँ खिचड़ी लाओ. इस पर कर्मा बाई ने भगवान को थोड़ा ठहरने के लिए बोला ये सुनकर भगवान सोचने लगे कि आज माँ को क्या हुआ है? पहले तो ऐसा कभी खिचड़ी के लिए इंतजार नही करवाया. इसके बाद जब कर्मा बाई ने खिचड़ी परोसी तब भगवान जल्दी फटाफट करके खिचड़ी खाई और इसी जल्दी जल्दी में बिना पानी पियें ही भगवान मंदिर में भागे.

जब जगन्नाथ मंदिर के पुजारी ने जैसे ही मंदिर के पट खोले तो उन्होंने देखा कि भगवान के मुख पर खिचड़ी लगी हुई हैं इसका कारण जाने के लिए पुजारी ने भगवान से बोले “प्रभु आपके मुख में ये खिचड़ी कैसे लग गई?” इस पर भगवान ने जवाब दिया कि “पुजारी जी , मैं रोज अपनी कर्मा बाई माँ के घर जाकर खिचड़ी खाकर आता हूँ. आप आज मेरी कर्मा माँ के घर जाओ उनके यहां एक महात्मा ठहरे हुए हैं उन्होंने मेरी कर्मा माँ को गलत पट्टी पढ़ा रखी है, उनको समझाओ”.

फिर उसके बाद पुजारी उस महात्माजी से मिलकर सारी बातें कही की भगवान भाव के भूखे होते हैं. इस बात को सुनकर महात्मा जी बहुत घबराइए ओर फौरन कर्मा बाई के पास जाकर कहा “माता जी ! मुझे क्षमा कीजिये, ये सारे नियम व धर्म तो हम संतों के लिए है आप जैसे पहले खिचड़ी बनाती थे वैसे ही बनाया करो जिसके की आपके भाव से ही भगवान जी खिचड़ी खाते रहें”. फिर इसके बाद वही क्रम जारी हो गया भगवान जी सुबह सुबह आते और खिचड़ी खाकर मंदिर लौट जाते लेकिन एक दिन आया जब कर्मा बाई मृत्यु को प्राप्त हुई. उस दिन जब पुजारी ने मंदिर के पट खोले तो उन्होंने देखा कि भगवान की आंखों में आँसू बह रहे हैं और प्रभु रो रहे है और जब पुजारी ने उनके रोने का वजह पूछा तब भगवान जी बोले “पुजारी जी, आज मेरी कर्मा बाई माँ इस लोक को छोड़कर मेरे निज लोक से विदा हो गई हैं, कौन मुझे अब खिचड़ी खिलाएगा ?” इस पर पुजारी ने कहा “प्रभु जी ! आपको कभी भी माँ की कमी को महसूस होने नहीं देंगे. आज के बाद सबसे पहले आपको खिचड़ी का ही भोग लगेगा”. यही कारण है कि आज भी जगन्नाथ भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता हैं.

उम्मीद है कि आपको इस पौराणिक कथा को पढ़ना पसंद आया होगा, इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ शेयर करें और ऐसे ही पौराणिक कथा को पढ़ने के लिए जुड़े रहे  madhuramhindi.com के साथ.


FAQ – सामान्य प्रश्न

जगन्नाथ भगवान की परम भक्त का नाम क्या था ?

 कर्मा बाई जी

कर्मा बाई भगवान जगन्नाथ जी को किसका भोग लगाती थीं

खिचड़ी का


Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.