Ganeshji | हिंदू धर्म में सभी देवी – देवताओं में भगवान गणेश का विशेष महत्व होता है. किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती हैं क्योंकि इनको प्रथम पूजनीय देवता का स्थान मिला और हर कोई भगवान गणेश को खुश करना चाहते है. पुराणों में गणेशजी के जन्म से लेकर उनके शारिरिक बनावट से जुड़े कई कथाएं मिलती हैं इन्हीं कथाओं में ये भी वर्णन किया गया है कि कैसे भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाया गया यही कारण है कि इनको गजमुख भी कहा जाता हैं. भगवान शिव तो जंगल में निवास करते थे वे चाहते तो किसी भी जानवर का सिर गणेशजी को लगा सकते थे लेकिन उन्होंने हाथी का सिर लगाया ऐसी मान्यता है कि गणेशजी के इस सिर के पीछे एक असुर की कथा है.
Ganeshji | भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाया गया, जानते है इससे जुड़ी पौराणिक कथा :
कूर्मपुराण के अनुसार गज और असुर के संयोग से एक असुर का जन्म हुआ चुकी इस असुर का मुख गज के समान था इसी कारण इस असुर को गजासुर कहा जाने लगा.गजासुर असुर होने के बाद भी वह भगवान शिव का परम भक्त था और दिन रात उनकी आराधना में लीन रहा करता. एक बार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गजासुर ने कठोर तपस्या किया जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मनचाहा वरदान मांगने को कहा और तब गजासुर ने वरदान में भगवान शिव को ही मांग लिया कि आप कैलाश छोड़कर मेरे पेट में समा जाएं. शिवजी ठहरे भोले तभी तो भक्त की इच्छा को पूरा करने के भगवान शिव गजासुर के पेट में समा गए.
जानें >> आखिर भगवान गणेशजी की पूजा में क्यों चढ़ाया जाता है दूर्वा
भगवान शिव बहुत समय तक कैलाश नही लौटे तो माता पार्वती बहुत चिंतित हुई और उनको खोजना शुरू किया किंतु वे कहीं नहीं मिले तब माता पार्वती ने भगवान विष्णु का स्मरण किया और उनको शिवजी को ढूंढकर वापस कैलाश लाने को कहा.भगवान शिव को ढूढंने के लिए एक योजना बनाई और अपनी लीला से स्वयं विष्णुजी सितारवादक बने, ब्रह्माजी को तबला वादक और नंदी को नाचने वाला बैल बनाया ऐसा रूप धारण करके सभी गजासुर के दरबार मे पहुंचे और नाच किया.
बांसुरी की धुन पर नंदी के अनोखे ओर अद्भुत नृत्य से गजासुर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने वरदान में कुछ मांगने को कहा तब नंदी ने अपनी चतुराई से भगवान शिव को वापस मांग लिया. गजासुर इससे समझ गया कि उनके महल में स्वयं भगवान पधारे हैं और उसने अपने वचन को पूरा करने के लिए अपने पेट से भगवान शिव को बाहर निकालना पड़ा इसके बाद गजासुर को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने सभी से हाथ जोड़कर क्षमा मांगी. गजासुर के वचन पूरा करने पर भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए और गजासुर को वरदान दिया कि समय आने पर उसे ऐसा मान सम्मान मिलेगा की संसार में सभी तुम्हारी पूजा करेंगे. इस घटना के कुछ समय पश्चात जब भगवान शिव ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर काट दिया तब गजासुर को दिए गए वरदान को पूर्ण करने के लिए गजासुर का ही सिर काटकर गणेश जी को लगाया गया और इस प्रकार से गजासुर को वो सम्मान मिला जिसका वचन भगवान श्रीहरि विष्णु ने दिया था.
जानें >> भगवान गणेशजी की पूजा में किन चीजों को भूलकर भी नहीं चढ़ना चाहिए.
उम्मीद है कि आपको पौराणिक कथा से जुड़ा यह लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही पौराणिक कथाओं से जुड़े लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) कौन से भगवान का सिर हाथी का हैं ?
भगवान गणेश.
2) किस असुर ने भगवान शिव को अपने पेट में समा लिया था ?
गजासुर.
3) गणेश जी का सिर किसने क्रोध में कटा है ?
भगवान शिव.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.