Badrinath Dham | आखिर बद्रीनाथ धाम का नाम बद्रीनाथ क्यों पड़ा ? क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

Badrinath temple

Badrinath Dham | बद्रीनाथ धाम जिसे बद्रीनारायण के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में हिमालय की गोद में अलकनंदा नदी के तट पर बसा हुआ हिन्दू धर्म का एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं. यहां पर भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनारायण की पूजा होती हैं जिसकी मूर्ति 1 मीटर (3.3 फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित है. मान्यता है कि इस मूर्ति को आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में समीपस्थ नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था इसे भगवान विष्णु की 8स्वमं प्रकट हुई प्रतिमाओं में से एक माना जाता हैं.

बद्रीनाथ को अलग अलग कालों में अलग अलग नामों से जाना जाता हैं. स्कन्दपुराण में बद्री क्षेत्र को मुक्ति प्रदा कहा गया हैं. त्रेता युग में भगवान नारायण के इस क्षेत्र को योग सिद्ध कहा गया है. द्वापर युग में भगवान के प्रत्यक्ष दर्शन के कारण इसे मणिभद्र आश्रम या विशाला  तीर्थ कहा गया है वहीं कलियुग में इसे बद्रिकाश्रम या बद्रीनाथ कहा जाता हैं.

Badrinath Dham | बद्रीनाथ धाम का नाम बद्रीनाथ पड़ने की पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद मुनि भगवान विष्णु के दर्शन के लिए क्षीर सागर पधारे वहां उन्होंने देखा माता लक्ष्मी श्रीहरि के पैर दबा रही थी, नारदजी ने इस बारे में भगवान विष्णु से पूछा तो वो अपराध बोध से ग्रसित हो गए और आत्मग्लानि होकर तपस्या करने के लिए हिमालय चले गए. जब श्रीहरि योगध्यान मुद्रा में तपस्या में मग्न थे तब वहां बहुत बर्फ गिरने लगी जिसके कारण इस हिमपात में विष्णु जी डूब गए उनकी इस हालत देखकर माता लक्ष्मी परेशान हो गई और उन्होंने स्वयं भगवान विष्णु के पास जाकर बद्री वृक्ष का रूप धारण कर लिया, जिससे हिमपात उन पर गिरने लगा और वो सहती रहीं. भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और हिम से बचाने के लिए माता लक्ष्मी ने भी कठोर तपस्या की.

कई वर्षों तक श्रीहरि ने तपस्या किया और जब उनका तप पूरा हुआ तब उन्होंने देखा लक्ष्मी जी बर्फ (हिम) से ढकी पड़ी है तब श्रीहरि ने कहा “कि हे देवी! तुमने भी मेरे बराबर तप किया है आज से इस स्थान में मुझे तुम्हारे ही साथ पूजा जाएगा, तुमने मेरी रक्षा बद्री वृक्ष के रूप में की है ऐसे में आज से मुझे बद्री के नाथ – बद्रीनाथ के नाम से जाना जाएगा”.

कुछ लोगों का कहना है कि इस स्थान पर कभी बेर यानि बद्री की बेशुमार झाड़ियाँ हुआ करती थी इसलिए इसे बद्रीवन भी कहा जाता हैं. व्यास मुनि का जन्म इसी बद्रीवन में ही हुआ था और बद्रीवन में व्यास मुनि का आश्रम भी था इसलिए महर्षि वेद व्यास को बादरायण भी कहा जाता हैं इसी आधार पर इस का धाम का नाम बद्रीनाथ पड़ा. 


FAQ – सामान्य प्रश्न

बद्रीनाथ धाम कहां है ?

उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में

बद्रीनाथ धाम में किनकी पूजा होती है ?

भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनारायण की पूजा होती हैं


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