Mystery of Ganga | आखिर गंगा माँ ने अपने 7 (सात) पुत्रों को नदी में क्यों बहा दिया था ? राजा शांतनु से विवाह करने के लिए गंगा ने क्या शर्त रखी थी

Mystery of Ganga

Mystery of Ganga | हिन्दू धर्म में गंगा नदी को माँ का दर्जा प्राप्त है इतना ही नही गंगा जल को बेहद पवित्र माना गया है इसे मांगलिक और शुभ कार्यों में इस्तेमाल किया जाता हैं और सबसे खास बात मान्यता यह भी है कि गंगा जल कभी खराब नहीं होता हैं लेकिन महाभारत के अनुसार गंगा माँ ने अपने 7 (सात) पुत्रों को नदी में बहाकर जान ले लिया था. इसके पीछे आखिर क्या रहस्य है जानते है.

Mystery of Ganga | राजा शांतनु से विवाह के लिए क्या शर्त रखी थी गंगा माँ ने

एक बार हस्तिनापुर के राजा शांतनु शिकार खेलते खेलते गंगा नदी के किनारे पहुंचे वहां उन्होंने एक सुंदर स्त्री को देखा (वो स्त्री गंगा देवी ही थीं) जिसको देखकर राजा शांतनु को उनसे प्रेम हो गया जब शांतनु ने देवी गंगा से विवाह करने  की इच्छा का जिक्र किया तो देवी गंगा मान गई लेकिन देवी गंगा ने एक शर्त रखी कि” मैं तब तक ही आपके साथ रहूंगी, जब तक आप मुझे किसी बात के लिए रोकेंगे नहीं और ना ही मुझसे कोई सवाल करेंगे अगर ऐसा हुआ तो मैं उसी वक़्त आपको छोड़कर चली जाऊंगी”. राजा शांतनु ने देवी गंगा की शर्त को स्वीकार कर लिया उसके बाद देवी गंगा और राजा शांतनु का विवाह हो गया.

Mystery of Ganga | क्यों देवी गंगा ने अपने सात पुत्रों को नदी में बहाए :

विवाह के बाद जब देवी गंगा पहली बार माँ बनी तो अपनी संतान को गंगा नदी में बहा दिया.जब भी देवी गंगा किसी भी संतान को जन्म देती उसे तुरंत गंगा नदी में बहा देती थी इसी प्रकार उन्होंने सात पुत्रों को गंगा नदी में बहाती गयी ये सब राजा शांतनु देखकर भी चुप रहते क्योंकि वे देवी गंगा को वचन दिए थे कि उनसे कभी कोई प्रश्न नहीं करेंगे,लेकिन जब देवी गंगा ने आठवें पुत्र को जन्म दिया उसे भी देवी गंगा नदी में बहाने निकली पर उस वक़्त राजा शांतनु अपने आपको नहीं रोक पाए और उन्होंने देवी गंगा को रोक कर पूछा कि “आखिर वह हर संतान को नदी में क्योंकि बहा देती हैं?” तब देवी गंगा ने कहा – हे राजन! आपने अपना वचन तोड़ दिया इसलिए अब मुझे आपको छोड़कर जाना होगा और ये संतान आपके पास रहेगी.

देवी गंगा ने राजा शांतनु के प्रश्न का जवाब दिया कि आखिर क्यों उसने अपने पुत्रों को गंगा नदी में बहाय. देवी ने बताया कि उनके आठों पुत्र सभी वसु थे जिन्हें वशिष्ठ ने श्राप दिया था. ये वसु असल मे इंद्र और विष्णु के अनुयायी माने जाते हैं जो स्वर्ग में उनके साथ ही रहते थे ये अष्ट वसु अलग अलग चीजों को दर्शातें हैं जैसे पृथ्वी, पानी,अग्नि,वायु,सूर्य,आकाश,चंद्रमा और सितारे. इन आठ वसु में से एक प्रभास की पत्नी घृ ने एक दिन जंगल मे एक गाय को देख लिया ये कोई साधारण गाय नही थी बल्कि ऋषि वशिष्ठ की गाय थी जिसे धरती पर उद्दार करने के लिए भेजा गया था, एक बार प्रभास ने अपने अन्य सात भाइयों की मदद से उस गाय को चुरा लिया जब ऋषि वशिष्ठ को पता  चला तो वो क्रोधित होकर सभी वसु को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दिया.इसके बाद सभी वसु क्षमा मांगने के लिए ऋषि वशिष्ठ के पास पहुंचे. क्षमा मांगने पर ऋषि ने कहा कि – तुम सभी वसुओं को तो शीघ्र ही मनुष्य योनि से मुक्ति मिलेगी लेकिन इस प्रभास नाम के वसु को बहुत दिनों तक पृथ्वीलोक में रहना पड़ेगा.

इस श्राप की बात जब वसुओं ने देवी गंगा को बताई तो गंगा ने कहा था कि ” मै तुम सभी को अपने गर्भ में धारण करुँगी और फिर मनुष्य योनि से मुक्त कर दूंगी. देवी गंगा ने ऐसा ही किया लेकिन वशिष्ठ ऋषि के कारण प्रभास नामक वसु ने भीष्म के रूप में जन्म लिया जिन्हें कोई सुख प्राप्त नहीं हुआ, उन्हें हर कदम पर कष्ट झेलने पड़े और अंत में कठिन मृत्यु को प्राप्त हुए. 


FAQ – सामान्य प्रश्न

राजा शांतनु कहाँ के राजा थे ?

हस्तिनापुर


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