Maa Brahmacharini | माँ ब्रह्मचारिणी की नवरात्र के दूसरे दिन पूजा ,अर्चना किया जाता हैं. इस दिन भक्त अपने मन को माँ के चरणो में लगाते है. यहाँ पर ब्रह्म का अर्थ होता हैं तपस्या और चारिणी का अर्थ होता हैं आचरण करने वाली इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का शाब्दिक अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. माता ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जाप करने वाली माला और बाएं हाथ में कमण्डल हैं.
Maa Brahmacharini | पूजा विधि
शास्त्रीय विधि के साथ माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हैं. सबसे पहले माता को पंचामृत से स्नान कारने के बाद माँ को रोली, चंदन, अक्षत, मिश्री, लौंग, इलायची ये सब अर्पित करे. माँ ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल चढ़ाना चाहिए अगर हो सके तो इन फूलों की माला ज़रूर माँ को पहनाए इसके बाद माँ को दूध या फिर दूध से बनी व्यंजन का भोग लगाए क्योंकि माता को दूध और दूध से बनी भोग बहुत पसंद हैं, भोग लगाने के बाद घी का दीपक जलाएं और इसके बाद कपूर से माता रानी की आरती उतारे ओर साथ में कलश की भी आरती उतारे और इसके बाद माँ की असीम कृपा पाने के लिए इसके बाद दुर्गा चालीसा, दुर्गा मंत्र या दुर्गा सप्तशती का पाठ करे. पूरी भक्ति भाव से माता का जयकारे लगाएं इससे माता प्रसन्न होगी और मनोकामना पूर्ण करेगी.
Maa Brahmacharini | पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः
Maa Brahmacharini | पूजा का महत्व
माँ की उपासना करने से जीवन में ज्ञान की वृद्धि होती है, माँ दुर्गा का ये स्वरूप अनंतफल को देनी वाली और समस्त कष्टों से मुक्ति दिलाती है. माँ के पूजा पाठ करने वाले को इष्ट फलों की अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है और जीवन में उत्साह, उमंग, कर्मठ, धैर्य व साहस का समावेश होता है.
जिनके जीवन में अंधकार फैला हो और हर तरफ से परेशानी घेर रही हो तो माँ का यह स्वरूप दिव्य और आलौकिक प्रकाश लेकर आता है और माँ के आशीर्वाद से घर, परिवार में सुख-शान्ति के साथ साथ आरोग्य की प्राप्ति होती है.
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