Pola Festival 2023| जानते हैं छत्तीसगढ़ के बहुत ही खास पोला पर्व के बारे में कि ये पर्व कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है ? जानेंगे इस पर्व के महत्व को.

Pola Festival 2023

Pola Festival 2023 | कोई भी राज्य हो उसकी सार्थक पहचान उनकी संस्कृति से होती हैं इसमें छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) देश का एक ऐसा राज्य हैं जोकि पुरी तरह कृषि प्रधान राज्य हैं इस राज्य के निवासी पूरे साल भर खेती काम में लगे रहते हैं धान की खेती इस राज्य की मुख्य फसल हैं इसी कारण से छत्तीसगढ़ “धान का कटोरा ” कहलाता है. छत्तीसगढ़ में बहुत सारे पर्व व त्यौहार मनाए जाते हैं इन सारे पर्व त्योहार में एक खास व महत्वपूर्ण त्योहार है पोला जिससे छत्तीसगढ़ी में पोरा भी कहा जाता हैं. भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाले यह पर्व खरीफ फसल के द्वितीय चरण का काम यानि कि निंदाई और गुड़ाई पूरा होने पर मनाते हैं. किसान अपनी फसलों के बढ़ने की खुशी और अपने बैलों की पूजा करके उनके प्रति अपनी सदभावना को बताने के लिए इस पोला पर्व को मनाते हैं.

Pola Festival 2023| तो चलिए जानते हैं कि कब मनाया जाता हैं पोला पर्व :

पोला पर्व भादों माह की अमावस्या को जिसे पिठोरी अमावस्या कहा जाता हैं इसी दिन मनाया जाता है.

जानते हैं कि इस साल 2023 को कब है पोला पर्व :

इस साल 2023 को पोला पर्व 14 सितंबर 2023 दिन गुरुवार को मनाया जाएगा.

Pola Festival 2023 | जानते हैं कि कैसे मनाया जाता हैं पोला पर्व :

पोला पर्व की शुरुआत पूर्व रात्रि से होती हैं यानि कि अगर पोला पर्व गुरुवार को होता है तो बुधवार की रात्रि को ही गर्भ पूजन किया जाता हैं मान्यता है कि इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती हैं यानि कि धान के पौधों में दूध भरता है. रात्रि में जब गांव में सभी सो जाते हैं तब गांव का पुजारी बैगा, मुखिया और कुछ पुरूष सहयोगियों को साथ लेकर गांव और गांव के बाहर में प्रतिष्ठित सभी देवी देवताओं के पास जाकर खास पूजा अर्चना किया करते हैं. यह पूजन रात भर होती हैं.

यहां रात्रि के पूजन का प्रसाद उसी जगह पर ही ग्रहण किया जाता हैं घर ले जाने की मनाही रहती हैं इस पूजा की खास की इस पूजन में वो व्यक्ति शामिल नही हो सकता जिसकी पत्नी गर्भवती हो और साथ ही इस पूजन में जाने वाला कोई भी व्यक्ति जूते चप्पल पहनकर नही जा सकता चुकी ये पूजन पोला पर्व के पूर्व रात्रि में होता है इसलिए दूसरे दिन यानि कि पोला पर्व के दिन खेतों में जाने की अनुमति नहीं होती हैं. सुबह होते ही यानि कि पोला के दिन घर की महिलाएं छत्तीसगढ़ी पकवान बनाती हैं जैसे कि गुडहा चीला, अनरसा, सोहरी, चौसला, ठेठरी, खुरमी, बरा, मुरकू, भजिया, तसमई आदि. किसान अपनी गौमाता और बैलों को नहलाते और उनके सींग व खुर में पॉलिश लगाकर सजाते हैं और गले में घुंगरू, घंटी या फिर कौड़ी से बने आभूषण पहनाकर पूजा करके आरती उतारते हैं.

घर के पुरूष बच्चों के लिए मिट्टी के बने खिलौने जिसमें लड़के के लिए मिट्टी के बैल और लड़कियों के लिए रसोईघर व गृहस्थी में उपयोग होने वाले बर्तन के खिलौने लाकर पहले इन सभी की पूजा की जाती हैं और इसके पश्चात मिट्टी के बने बैल के पैरों में चक्के लगाकर सुसज्जित करके बेटों को खेती के कार्य समझाने का प्रयास किया जाता हैं वहीं बेटियों को रसोईघर में उपयोग में आने वाली छोटे छोटे मिट्टी के बर्तन पूजा करके खेलने के लिए दिया जाता हैं जिससे कि बेटियां रसोईघर व गृहस्थी की संस्कृति और परंपरा को समझ सके.पूजा के पश्चात भोजन के समय अपने रिश्तेदारों व करीबियों को सम्मान के साथ आमंत्रित करके एक दूसरे के घर जाकर भोजन करते हैं.

इसके अलावा पोला पर्व के दिन छत्तीसगढ़ में गेड़ी का जुलूस निकलता है. गेड़ी बांस से बनाया जाता हैं जिसमें एक लंबा बांस में नाचे 1 से 2 फीट ऊपर आड़ा करके छोटा बांस लगाकर उस पर बैलेंस करके खड़े होकर चला जाता है .गेड़ी कई साइज की बनती हैं ये एक प्रकार का खेल है जिसमें बच्चे व बड़े सभी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

Pola Festival 2023 | अब जान लेते हैं पोला पर्व के महत्व को :

पोला पर्व कृषि में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले जानवर जैसे कि बैल को सम्मान देने और उनकी पूजा करने के लिए मनाते हैं अपनी खेती में मदद मिलने के कारण से किसान बैलों और बाकी पशुओं को अपनी तरक्की का कारण समृद्धि का प्रतीक और अपने घर का सदस्य मानकर माता लक्ष्मी का दर्जा देकर इनकी पूजा किया करते हैं. पोला का पर्व हर इंसान को जानवरों का सम्मान करना सिखाता  हैं जैसे जैसे पोला पर्व आने वाला रहता है सभी किसान एक दूसरे को पोला पर्व की बधाइयां व शुभकामनाएं देते हैं.


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 FAQ – सामान्य प्रश्न

पोला पर्व कब मनाया जाता हैं ?

भाद्रपद माह की अमावस्या में

इस साल 2023 में कब मनाया जाएगा पोला ?

14 सितंबर 2023 दिन गुरुवार

पोला पर्व में किसकी पूजा होती हैं ?

बैलों की.

पोला पर्व किस राज्य का त्यौहार हैं ?

छत्तीसगढ़.


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