Devkinandan Thakur | झारखंड के गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखंड के खरियोडीह श्री दुर्गा मंदिर परिसर में 29 फरवरी से आयोजित शिव शक्ति प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान स्वरूप महायज्ञ चल रही है. जिसमें अंतर्राष्ट्रीय भागवत कथा वाचक श्री देवकीनंदन जी के श्रीमुख द्वारा सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा (Shrimad Bhagwat Katha) चल रही हैं, जिसको श्रवण करने के लिए दूर-दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आए हैं जिसमें काफी संख्या में महिला श्रद्धालु है. आपके यहां बता दें की सात दिवसीय यज्ञ के सात यजमान है और मुख्य पुजारी श्री रामनारायण सिंह जी है, जिनके द्वारा व्यास पूजन और आरती वंदन की गई है.
श्री देवकीनंदन ठाकुर जी (Shri Devkinandan Thakur) द्वारा श्रीमद् भागवत कथा में आए लाखों श्रद्धालुओं ने कथा को बड़े ही दिल से श्रवण किया. कथा के दौरान देवकीनंदन ठाकुर जी ने पश्चिमी संस्कृति (Western culture) के अनुकरण का कड़े शब्दों में विरोध करते हुए बोले मांस, मंदिरा और पश्चिमी सभ्यता का त्याग करना चाहिए जैसे की सिंचाई के बिना फसल खराब होती है, ठीक ऐसे ही सत्संग के बिना नस्ल खराब हो रही है. उन्होंने अपनी कथा को आगे बढाते हुए कहा कि लोग भारतीय पारंपरिक परिधान ही पहने, पुरुष धोती-कुर्ता और युवा कुर्ता पजामा पहने तो वहीं महिलाएं साड़ी व सूट पहनें. लेदर से बनी किसी भी चीज को नहीं पहने क्योंकि इसको पहनने व रखने से उसकी नकारात्मक ऊर्जा मनुष्य पर पड़ती है तो घर में कलह और अमंगल होने लगता है. कोई भी शुभ या धार्मिक कार्य लेदर के सामान को साथ रखने पर नहीं कर सकते. अपनी कथा में उन्होंने जहां लेदर के चीजों का परित्याग पर जोर दिया तो वहीं स्वदेशी चीजों को अपनाने का आग्रह किया.
भागवत कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुरजी अपनी कथा में बहुत महत्व पूर्ण बात कही की कलयुग में मनुष्य का मन पाप में अधिक लगता है, इसलिए मनुष्य भगवान की पूजा नहीं करता है और ना ही कथा का श्रवण करता है. जब मानव भगवान की शरण में आता है तो संसार में ऐसा कोई कारण नहीं है जो कि उस मनुष्य को कोई कलह दे सके. इसलिए मनुष्य को भगवान की शरण अवश्य लेना चाहिए भगवान हमेशा अपने भक्तों का हित ही चाहते हैं. जो मनुष्य अपनी संस्कृति का अपमान करते हैं वह अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए नर्क के द्वार खोल देते हैं. मनुष्य को अपने अंदर के अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है और वह ज्ञान मनुष्य को कथा से प्राप्त होता है.
अपनी हर कथा की तरह इस कथा में भी देवकीनंदन ठाकुर जी ने सनातन धर्म को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि सनातन को अपने घर में सुरक्षित रखना चाहिए, इससे सनातन धर्म हमेशा जिंदा रहेगा और आने वाली पीढ़ी का भी भला होगा. जब मानव भगवान की शरण में आ जाता है तो संसार में ऐसा कोई कारण नहीं है जो कि उस मनुष्य को कोई क्लेश परेशान कर सके क्योंकि यह संसार मनुष्य हित नहीं चाहता लेकिन भगवान हमेशा अपने भक्तों का हित चाहते हैं, इसलिए हमें भगवान की शरण में अवश्य आना चाहिए.
आपको बता दे श्री देवकीनंदन ठाकुर जी के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा गिरिडीह झारखंड (Giridih Jharkhand) में 29 फरवरी से 06 मार्च 2024 तक हो रही है. जिसकी जानकारी Madhuramhindi.com ने आपको पहले ही दी थी. जिसमें हमने आपको बताया की कथा स्थल कहां है, तथा आप वहां कैसे पहुंच सकते हैं. लिंक नीचे दिया गया है आप उसे भी अवश्य पढ़ें. आप यह कथा युटुब (YouTube) और आस्था चैनल के द्वारा भी देख सकते हैं जहां पर इसका लाइव प्रसारण किया जा रहा है.
पढ़ें >> गिरिडी झारखंड में देवकीनन्दन ठाकुर जी द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का समय व तिथि
FAQ – सामान्य प्रश्न
देवकीनंदन ठाकुर जी की अगली कथा फरवरी – मार्च में कहाँ है ?
गिरिडी, झारखंड में
देवकीनंदन ठाकुर जी की कथा गिरिडी, झारखंड में कब से है?
29 फरवरी से 6 मार्च 2024
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