Chandi Mata Mandir | छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बागबाहरा तहसील मुख्यालय से केवल4 किलोमीटर दूर गाँव घुंचापाली में मां चंडी देवी का भव्य मंदिर स्थित है. इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बनी पत्थर की 23 फीट ऊंची माँ चंडी की मूर्ति है जो कि खुद प्रकट हुई हैं. दक्षिणमुखी स्वयंभू मूर्ति दुर्लभ तंत्र मंत्र साधना के लिए जानी जाती हैं. यहां मान्यता है की मां चंडी के दरबार में कोई भक्त खाली हाथ वापस नहीं जाता. राज्य और देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी बड़ी संख्या में माता के भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और मां चंडी के आशीर्वाद से सभी मनोकामना पूरी होती है चाहे घर परिवार के खुशी के लिए मांगी गई मनोकामना हो या बिजनेस में तरक्की पाने की संतान प्राप्ति या फिर पढ़ाई में अव्वल आने का संकल्प हो माता हर किसी की सुनती है.
छत्तीसगढ़ के महासमुंद का चंडी देवी का मंदिर हर रोज होने वाली इस घटना के लिए काफी जानी जाती है क्योंकि इस मंदिर में केवल इंसान ही पूजा नहीं करते बल्कि हर रोज भालू का पूरा परिवार माता के दर्शन के लिए आता है. भालू की भक्ति देखकर यहां श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं जिनको देखने के लिए कई बार घण्टों इंतजार भी करना पड़ता है.
Chandi Mata Mandir, Mahasamund | जानते हैं माता के इस अनोखे भक्तों के बारे में विस्तार से :
मां चंडी देवी के इस मंदिर में शाम ढलते ही हर शाम आरती के समय भालू का पूरा परिवार माता रानी के दर्शन के लिए पहुंच जाता है. जब भालू का परिवार आता है तो इनमें से एक भालू मंदिर के बाहर खड़ा रहता है और बाकी के भालू मंदिर में प्रवेश करते हैं इसके बाद पूरा परिवार माता रानी की मूर्ति के परिक्रमा करता है. परिक्रमा करके और प्रसाद लेने के बाद भालू का पूरा परिवार चुपचाप जंगल की ओर लौट जाता है इस बात की हैरानी होती है कि भालू मंदिर में आकर किसी भी श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचते हैं जबकि उनके साथ बिल्कुल वैसा ही व्यवहार करते हुए दिखते हैं जैसे कोई उनका पालतू जानवर हो.
गांव के रहने वाले का कहना है कि यह भालू कभी भी हिंसक नहीं होते हैं और ना ही कभी उन्होंने किसी को नुकसान पहुंचा हो, कभी-कभी वह नाराजगी का इजहार जरूर करते हैं लेकिन किसी को परेशान नहीं करते हैं गांव वाले इन भालू परिवार को जामवंत परिवार कहते हैं. यहां के वन्य जीव विशेषज्ञ कहते हैं की माता के मंदिरों में भालू और श्रद्धालुओं के बीच होने वाला आमना सामना बहुत ही आश्चर्य की बात है क्योंकि जंगल का में किसी इंसान का भालू से सामना हो जाए तो हमले की पूरी संभावना होती है किंतु यहां भालू श्रद्धालुओं से इस तरह पेश आते हैं जैसे कि घर का ही कोई सदस्य हो.
Chandi Mata Mandir Ka Mahatv | चंडी माता मंदिर के महत्व को :
चंडी माता का यह मंदिर पहले तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध था यहां कई साधु संतों का डेरा भी था और तंत्र साधना करने वाले ने पहले इस स्थान को गुप्त रखा था किंतु साल 1950 – 51 में इसे आम जनता के लिए खोला गया. चारों ओर से जंगलों और पहाड़ों से घिरे ग्राम में विराजमान स्वयंभू मां चंडी का रूप देखते ही बनता है. यह मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित है लेकिन पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों की कोई जरूरत नहीं होती है लंबे ढलान के होने से चढ़ाई अत्यंत आसान और सुगम हो जाया करती है यहां तक कि बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगों जिन्हें सीढ़ियां चढ़ने में कोई कष्ट व परेशानी होती है वह भी माता रानी के दर्शन के लिए जा सकते हैं.
माता की विशाल मंदिर में प्रवेश करने पर माता रानी की विशालमय मूर्ति और माता के बड़े-बड़े नेत्रों को देखकर ह्रदय पुलकित हो जाता है माता रानी की इस विशाल मूर्ति से नजरे नहीं हटती ऐसा लगता है की माता रानी अपने सभी भक्तों को अपने पास बुला रही हो. यहां हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्रि में भक्तों का सैलाब लगा रहता है यहां राज्य, देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी बड़ी संख्या में माता के भक्त अपनी मनोकामना लेकर ज्योत प्रज्ज्वलित करने यहां आते हैं. इस माता रानी की मंदिर के बारे में मान्यता है की मां चंडी के दरबार से कोई भक्त खाली हाथ वापस नहीं जाता. मां चंडी से जुड़ी हुई एक आश्चर्यजनक बात यह है की माता रानी की मूर्ति लगातार बढ़ रही है मंदिर ट्रस्ट कई बार मंदिर को बना चुके हैं पर मां कुछ ही सालों में माता रानी छत को छू जाती है और मंदिर फिर से तोड़ना पड़ता है.
यहां पर मुख मंदिर से ऊपर लगभग 2 किलोमीटर पहाड़ पर छोटी चंडी माता है जो की सुंदर गुफा के अंदर विराजमान है. मंदिर के करीब एक पुराना कुआं है कहा जाता है कि इस कुएं का पानी माता के आशीर्वाद से कभी नहीं सूखता.
How to Reach Chandi Mata Mandir, Mahasamund | तो चलिए जानते हैं चंडी माता रानी मंदिर कैसे पहुंचे :
यह मंदिर महासमुंद जिले से 40 किलोमीटर और राजधानी रायपुर से लगभग 95 किलोमीटर की दूरी पर है इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क आपको आसानी से मिल जाएगी जहां आप अपनी वाहन के माध्यम से पहुंच सकते हैं. चंडी माता मंदिर से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन बागबाहरा रेलवे स्टेशन है जहां से माता चंडी देवी जी का मंदिर लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इस मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा रायपुर हवाई अड्डा है जिसकी दूरी लगभग 110 किलोमीटर है.
आप एक बार माँ आदिशक्ति चंडी माता मंदिर के इस धाम अवश्य आएं और माता रानी की कृपा व आशीर्वाद को प्राप्त करें यहां आपको छत्तीसगढ़ की खूबसूरती देखने को मिलेगा साथ ही आकर बहुत सुख शांति की भी प्राप्ति होगी कि आपका मन मुग्ध हो जाएगा.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
बागबाहरा किस राज्य में हैं ?
छत्तीसगढ़.
माँ चंडी मंदिर क्या पर स्थित हैं ?
महासमुंद जिले के बागबाहरा के घुंचापाली गांव.
किस मंदिर में भालु आते हैं प्रसाद लेने ?
माँ चंडी मंदिर बागबाहरा.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.