Ghadi Parv 2024 | देश के हर राज्य और प्रांत से जुड़ी हुई सारे रीति रिवाज और संस्कृति होते हैं जिसका विशेष महत्व होता है ऐसे ही बिहार के मिथिला प्रांत के लोक संस्कृति से जुड़े कई सारे पर्व होते हैं जो प्रसिद्ध होने के साथ-साथ अद्भुत भी होते हैं और इन सारे पर्व में सबसे खास पर होता है घड़ी पर्व जो की मिथिला के लोक संस्कृति से जुड़ा हुआ एक ऐसा पर्व जो सावन माह की शुक्ल पक्ष से लेकर सावन पूर्णिमा के बीच मनाया जाता है और यह पर्व कुल के कुलदेवता या फिर कुलदेवी को समर्पित होता है.इस घड़ी पर्व की सबसे खास बात यह है कि इस पर्व पर बनने वाली प्रसाद (पकवान) को बहुत ही स्वच्छता और पवित्रता से बनाया जाता हैं और इस प्रसाद को लेकर मान्यता है कि इस प्रसाद को घर की स्त्रियां बनाती तो है लेकिन कहीं कहीं इसे वो खा नहीं सकती इसे घर के पुरूष ही खा सकते हैं.
Ghadi Parv 2024 | जानते है साल में घड़ी पर्व 2024 कब मनाई जाएगी :
मिथिला का यह अद्भुत पर्व हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष से लेकर सावन पूर्णिमा के बीच मनाई जाती है और पंचाग के अनुसार साल 2024 में घड़ी पर्व सावन माह की शुक्ल पक्ष 05 अगस्त 2024 से लेकर 19 अगस्त 2024 को सावन पूर्णिमा के बीच मनाई जाएगी चूंकि घड़ी पर्व कुल के कुलदेवता और कुलदेवी को समर्पित होता है और हर कुल में कुलदेवता हो या फिर कुलदेवी घड़ी पर्व में इनकी पूजा सप्ताह के एक विशेष दिन में किया जाता हैं इसीलिए घड़ी पर्व सावन माह के शुक्ल पक्ष से सावन पूर्णिमा के बीच पड़ने वाली सोमवार, बुधवार और शनिवार के दिन मनाई जाती हैं.
इस साल 2024 में मिथिला का खास पर्व घड़ी पर्व 05 अगस्त, 07 अगस्त,10 अगस्त,12 अगस्त,14 अगस्त और 17 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी.
पढ़ें >> जानेंगे बिहार के मिथिला के लोक संस्कृति से जुड़े प्रसिद्ध पर्व घड़ी पर्व के बारे में विस्तार से
Ghadi Parv ki Puja Vidhi | आइए जानते हैं घड़ी पर्व की पूजा विधि को :
1) सबसे पहले घड़ी पर्व से एक दिन पहले घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ सफाई किया जाता हैं.
2) पर्व के दिन घर की महिलाएं स्नान आदि करने के बाद प्रसाद को बनती है और प्रसाद के रूप में रोटको बनाया जाता है जोकि सवा किलो गेहूं के आटे को गुड और घी में मिलाकर जोड़े में रोट को बनाया जाता है, एक बड़ा रोट और दूसरा छोटा रोट.
3) प्रसाद के रोट को बनाते समय ध्यान रखना चाहिए कि रोट को घी या फिर तेल में फ्री करें तो वह न टूटे और ना ही फटे कहीं-कहीं इस रोड को रोटी के समान सेंका भी जाता है.
4) इस पर्व में रोट के अलावा प्रसाद में सादा पूड़ी,मीठी पूड़ी और खीर को भी बनाई जाती है.
5) जब सारे भोग बन जाए तो इन सब का भोग कुल देवता या फिर कुलदेवी को लगाया जाता है इसके लिए एक केले के पत्ते या फिर किसी थाल में बने हुए रोट को डालने के बाद रोट को सदा पूड़ी या फिर मीठी पूड़ी से पूरी तरह से ढक दिया जाता है इसके साथ ही भोग में खीर और फलों का भी भोग लगाया जाता है लेकिन अगर यहां कुल देवता को भोग लगाएं तो भोग में तुलसी दल को जरूर शामिल करना चाहिए.
6) जब सारे भोग कुलदेवी या फिर कुलदेवता को चढ़ा दिया जाता है तो घी का दीपक और धूप को जलाया जाता है.
7) घी के दीपक को जलाने के बाद घर के सभी पुरुष सदस्य और बच्चे जलते हुए दीपक का दर्शन करके कुल के भगवान को प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
8) यह पूजन शाम के समय की जाती है तो चढ़े विभव को रात्रि में पूजा घर में ही कुल देवता या फिर कुलदेवी के सामने से हटाकर पूजा घर में साफ और स्वच्छ स्थान पर सुरक्षित ढककर रखा जाता है.
9) दूसरे दिन स्नान आदि करके भगवान की पूजा और दीपक को जलाकर वापस उसी भोग को चढ़ाया जाता है और थोड़ी देर बाद चढ़े हुए भोग को वहां से उठाकर पूजा घर में ही रोट को ढके हुए सादा पूड़ी और मीठा पूड़ी को घर के पुरुष और बच्चों के बीच बांटा जाता है लेकिन चढ़े हुए रोट को तोड़कर परिवार के वह पुरुष ही खा सकते हैं जो घर के या उस कुल के वंशज होते हैं.
10) घर के पूजा घर में ही सभी चढ़े हुए भोग व प्रसाद को खाया जाता है और अगर भोग बच गया हो तो उसे किसी पवित्र स्थान में जमीन के नीचे दबा दिया जाता हैं साथ ही पुरुषों को खास हिदायत दी जाती हैं कि रोट खाने के बाद नदी पार नही करना है.
Ghadi Parv ka Mahatv | आइए अब जानते हैं घड़ी पर्व के महत्व को :
बिहार मिथिला प्रांत का यह अद्भुत घड़ी पर्व कुल के कुलदेवी या कुलदेवता को प्रसन्न करने के लिए किया जाता हैं जिससे कि यह प्रसन्न होकर अपनी कृपा कुल को प्रदान करें जिससे कि घर मे सुख समृद्धि और धन की कमी कभी नही आए साथ ही वश में वृद्धि होने के साथ ही घर और परिवार में खुशहाली बनी रहे.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) घड़ी पर्व किस प्रान्त से जुड़ा लोकपर्व हैं ?
बिहार के मिथिला प्रांत .
2) पंचाग के अनुसार घड़ी पर्व कब मनाया जाता हैं ?
सावन माह के शुक्ल पक्ष से लेकर सावन पूर्णिमा के बीच.
3) घड़ी पर्व किस देवी – देवता को समर्पित हैं ?
कुल के कुल देवी या कुलदेवता.
4) साल 2024 में कब घड़ी पर्व मनाया जाता हैं ?
05 अगस्त से 19 अगस्त 2024 के बीच.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.