Vidur Neeti | हिंदू धर्म का पांचवां ग्रँथ महाभारत हैं जिनके सारे पात्रों की अपनी एक अलग पहचान थी और इन्हीं पात्रों में से एक थे महात्मा विदुर जिनकी बुद्धिमानी और ज्ञान को वर्तमान में भी सम्मान दिया जाता हैं. विदुर धृतराष्ट्र और पांडु के सौतेले भाई एवं एक दासी पुत्र थे जिनको संपूर्ण वेदों और शास्त्रों का ज्ञान था. माना जाता है कि विदुर की नीतियों का संग्रह वर्तमान में विदुर नीति के नाम से प्रचलित है जिसमें जीवन के हर तरह की पहलुओं पर नीतियां को बताई गई हैं और विदुर नीति महाभारत काल मे जितनी प्रासंगिक थी उतनी ही वर्तमान समय में भी हैं. कहा जाता हैं कि जो भी मनुष्य विदुर नीतियों का अनुसरण करता है वह जीवन को जीने सीख जाता है क्योंकि यह नीतियां मनुष्य को प्रेरणा देने के साथ ही यह मानवता के उच्च आदर्शों को समझने में सहायक होता हैं इसके अलावा यह नीतियां जीवन में सुखी रहने का मूलमंत्र भी बताती हैं.
विदुर नीति अनुसार जीवन में सुखी रहने के मूलमंत्र :
1) परदेश में नहीं रहने वाला :
एक स्वस्थ जीवन को जीने के लिए वर्तमान समय में धन का होना बहुत आवश्यक होता है और मनुष्य को धन को कमाने के लिए घर परिवार को छोड़कर दूसरे स्थान पर जाना पड़ता है तो ऐसे में विदुर नीति में ऐसे मनुष्य के लिए उल्लेख किया गया है कि जो मनुष्य परदेश में रहते हैं उनको धरती का सुख नहीं मिल पाता है क्योंकि ऐसे मनुष्य को अपने घर परिवार से दूर रहना पड़ता हैं.
2) स्वस्थ शरीर होना :
महात्मा विदुर कहते हैं कि मनुष्य का निरोगी काया अर्थात स्वस्थ शरीर का होना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि जिस मनुष्य को कोई भी कोई बीमारी नहीं हो और उसके साथ में रहने वाले व्यक्ति भी निरोगी यानि कि बेहतर स्वस्थ हो तो उसे धरती का सुख प्राप्त हो जाता हैं इसलिए मनुष्य को अपने स्वस्थ का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
3) साहसी जीवन जीना :
विदुर नीति के अनुसार जो मनुष्य साहस होकर जीवन व्यतीत करता है उसे धरती के सभी सुखों की प्राप्ति होती हैं और वो मनुष्य जो निडर नहीं होता हैं, विकट परिस्थितियों के आने पर घबरा जाता है ऐसे में वह मनुष्य जीवन के सुखों का आनंद नहीं उठा पाता है.
4) कर्ज से मुक्त होना :
विदुर नीति के अनुसार जो मनुष्य कर्ज के बोझ तले दबा हुआ होता है उसको धरती पर सुख की प्राप्ति नहीं होती हैं वह अपना जीवन सदैव तनाव में ही व्यतीत करता है और ऐसे व्यक्ति हर समय परेशान ही नजर आता है क्योंकि अगर सही समय पर कर्ज को चुकाया नहीं गया तो ऐसे मनुष्य की छवि भी खराब हो सकती हैं.
5) आमदनी से खुश रहने वाला :
महात्मा विदुर कहते हैं कि जो मनुष्य अपनी आमदनी से खुश रहता है वह सदैव सुखी जीवन को जीतता है लेकिन ऐसे मनुष्य जो लालची प्रवृत्ति का होता है और अपनी आमदनी से भी खुश नहीं हो पाता है तब वह अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए गलत रास्ते पर निकल जाता हैं जिसके वजह से उसे आने वाले समय में समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) हिंदू धर्म का पांचवा ग्रँथ क्या है ?
महाभारत.
2) महात्मा विदुर किनके सौतेले भाई थे ?
धृतराष्ट्र और पांडव.
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