Garuda Purana | हिंदू धर्म में कुल सोलह (16) संस्कारों का उल्लेख किया गया है और इन संस्कारों में आखिरी संस्कार को अंतिम संस्कार कहा जाता हैं जो कि मनुष्य के मृत्यु के बाद किया जाता हैं. शास्त्रों के अनुसार शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश. अंतिम संस्कार के रूप में जब व्यक्ति का दाह संस्कार किया जाता हैं तो यह पंच तत्व जहां से आए थे उनमें ही विलीन हो कर फिर से नव शरीर प्राप्ति का अधिकारी बन जाता हैं. अंतिम संस्कार के लिए शास्त्रों में विशेष नियम बनाए गए हैं जैसे कि शव का दाह संस्कार सूर्यास्त के बाद नही करना चाहिए इसके साथ ही अंतिम संस्कार के दौरान छेद वाले मटके में जल लेकर अंतिम संस्कार की क्रिया करने वाला व्यक्ति चिता पर रखे शव की परिक्रमा करके अंत में इस मटके को पटक कर फोड़ देता है. गरुड़ पुराण में इन नियमों का वर्णन किया गया है तो चलिए जानते हैं इन नियमों के पीछे मान्यताओं को.
Why is cremation not done after sunset in Hinduism? हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार क्यों नहीं किया जाता :
गरूड़ पुराण के अनुसार हिंदू धर्म में रात्रि में यानि कि सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार को शास्त्रों के विरुद्ध माना जाता है, अगर किसी की रात्रि में मृत्यु हो जाती हैं तब भी उसके शव को रखकर सूर्योदय का इंतजार करना पड़ता हैं. सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने पर मान्यता है कि स्वर्ग के द्वार बंद हो जाने के साथ नर्क के द्वार खुल जाते हैं जिससे मरने वाले को नरक का कष्ट भोगना पड़ता है और मृत व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता इसके साथ ही यह भी शास्त्रों में कहा गया है कि अगले जन्म में जीव के किसी अंग में दोष हो सकता हैं. शास्त्रों में शाम ढलने यानि कि सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार नही करने का एक मान्यता यह भी है कि सूर्य आत्मा का कारक होने के साथ यह ही जीवन और चेतना भी है.सूर्य से आत्मा जन्म लेकर सूर्य में ही विलीन हो जाती हैं और सूर्य नारायण का रूप है जो सभी कर्मों को देखते हैं लेकिन चंद्रमा पितरों का कारक होने के साथ यह पितरों को संतुष्ट करने वाला है. रात्रि में आसुरी शक्ति प्रबल होती हैं जिससे कि यह मरने वाले जीव के मुक्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती हैं इन्हीं सब कारणों से शास्त्रों में सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने की मनाही होती हैं.
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शाम ढलने के बाद किसी की मृत्यु होने पर उसके मृत शरीर को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि माना जाता है कि शरीर को छोड़कर जब आत्मा निकल जाती है तो शरीर एक खाली घर के समान हो जाता हैं और इस पर कोई भी बुरी आत्मा अधिकार कर सकती हैं इसलिए बुरी आत्माओं से मृत शरीर को बचाने के लिए लोगों के आसपास होना चाहिए.
Why is the pot broken after circling the dead body? आखिर क्यों शव की परिक्रमा के बाद मटकी फोड़ी जाती हैं :
शास्त्रों में दाह संस्कार के समय छेद वाले मटके से शव की परिक्रमा करके उसे फोड़ने का नियम है इसके पीछे मान्यता है कि मनुष्य का शरीर मटके के सामान होता है जिसमें जीवन रूपी जल भरा होता है अर्थात जल उसके जीवन का समय होता हैं और मटके से टपकता हुआ एक एक बूंद जल उसकी हर पल घटती आयु होती हैं और अंत मे जल समाप्त हो जाता है यानि कि जीवन खत्म हो जाती हैं तब आत्मा मटके रूपी शरीर छोड़कर पंचतत्व में चली जाती हैं. मटकी फोड़ने के पीछे मान्यता यह भी है कि शरीर और उसकी आत्मा के बीच मोह भंग किया जाता हैं अर्थात मरने वाले कि आत्मा शरीर का मोह छोड़ दें.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) हिंदू धर्म में कुल कितने संस्कार होते हैं ?
सोलह (16) संस्कार.
2) मनुष्य का शरीर किन पंच तत्वों से मिलकर बना है ?
पृथ्वी, जल,अग्नि, वायु और आकाश.
3) सूर्य किसका कारक माना गया है ?
आत्मा का.
4) पितरों का कारक कौन होता हैं ?
चंद्रमा.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.