Krishna | धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बांसुरी और मोरपंख के बिना श्रीकृष्ण का रूप अधूरा है. कृष्ण भगवान को मोरपंख बहुत प्रिय है यही वजह हैं कि उनके मुकुट में मोरपंख हमेशा लगा होता हैं. शास्त्रों के अनुसार विष्णुजी के अवतारों में से सिर्फ कृष्ण ने मोर मुकुट धारण किया हैं. कान्हा के मोरपंख पहनना केवल प्रेम या उसके प्रति लगाव ही नही है बल्कि इसके जरिये भगवान ने कई संदेश भी दिए है. मोरपंख श्रीकृष्ण के मुकुट में क्यों लगे है इसके पीछे तो ऐसे कई वजह हैं लेकिन इसके पीछे एक ऐसा रहस्य है जो रामायण से जुड़ी एक कथा है.
Krishna | तो चलिए जानते है रामायण से जुड़ी रहस्य को :
भगवान श्रीराम जब अपने अनुज लक्ष्मण और पत्नी सीताजी के साथ जब चौदह साल का वनवास के लिए निकले तो एक बार ये तीनों वनवास के दौरान जब वनों से गुजर रहे थे कि उसी समय माता सीता को प्यास लगी तो श्रीरामजी ने चारों ओर देखा तो उनको दूर दूर तक जंगल ही जंगल दिख रहा था कहीं भी जलाशय नज़र नहीं आ रही थी और इधर सीता जी की प्यास बढ़ती जा रही थी तब श्री राम ने कुदरत से प्रार्थना की, हे वन देवता!आसपास जहाँ कहीं पानी हो,वहाँ जाने का मार्ग कृपा करके बतलाये. तभी वहां एक मयूर आया और श्रीराम से कहा कि – आगे थोड़ी दूर पर एक जलाशय है ,चलिए मैं आपका मार्ग पथ प्रदर्शक बनता हूँ और आपको जलाशय तक ले जाता हूँ लेकिन मार्ग में हमारी भूल चुक होने की संभावना हैं “. श्रीराम ने पूछा- ऐसे क्योँ ? तब मयूर ने उत्तर दिया कि – मैं उड़ता हुआ जाऊंगा और आप चलते हुए आएंगे, इसलिए मार्ग में ,मैं अपना एक एक पंख बिखेरता हुआ जाऊंगा और इसी के सहारे आप जलाशय तक पहुंच ही जायेंगे. लेकिन यहां पर एक बात स्पष्ट कर दूं कि मयूर के पंख ,एक विशेष समय और एक विशेष ऋतु मे ही बिखरते है अगर वह अपनी इच्छा विरुद्ध पंखों को बिखेरेगा तो उसकी मृत्यु हो जाती हैं और वही हुआ, अंत मे जब मयूर अपनी अंतिम सांस ले रहा होता है तब उसके मन में विचारा की वह कितना भाग्यशाली है, कि जो जगत की प्यास बुझाते है ऐसे प्रभु की प्यास बुझाने का उसे सौभाग्य प्राप्त हुआ, मेरा जीवन धन्य हो गया अब मेरी कोई भी इच्छा अधूरी नहीं रही. तभी भगवान श्रीराम ने मयूर से कहा कि मेरे लिए तुमने जो अपनी मयूर पंख बिखेरकर अपने जीवन का त्यागकर मुझ पर जो ऋणानुबंध चढ़ाया है, मैं उस ऋण को अगले जन्म में ज़रूर चुकाऊंगा .
तत्पश्चात अगले जन्म में श्रीकृष्ण अवतार में उन्होंने अपने मुकुट पर मयूर पंख को धारण कर वचन अनुसार उस मयूर का ऋण उतारा था. तात्पर्य यही है कि भगवान ने अपना ऋण उतारने के लिए पुनः जन्म लेना पड़ा था तो हम तो मानव है ,न जाने हम कितने ही ऋणानुबंध से बंधे है जिसे उतारने के लिए हमें यो कई जन्म भी कम पड़ जायेंगे.
यही कारण है कि भगवान श्री कृष्ण की मुकुट में मोरपंख लगा रहता है.
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