Rajim Kumbh Kalp Mela 2025 | गरियाबंद जिले में स्थित पवित्र धर्म नगरी राजिम अपने आप में एक विशेष महत्व रखने वाला एक छोटा सा नगर है. राजिम जहां अपने पुरातत्व प्राचीन सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है तो वही राजिम अपनी कुंभ मेला के कारण भी जाना जाता है जिसमें संतों समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं इसी कारण से इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है और इसके साथ ही राजिम मुख्य रूप से भगवान श्री राजीव लोचन जी के मंदिर से भी प्रसिद्ध हैं. राजिम में तीन नदियों का भी संगम है इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता हैं यहां मुख्य रूप से तीन नदियां बहती है महानदी, पैरी और सोंढूर नदी और इस संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव जी का मंदिर है जिससे जुड़ी मान्यता है कि ब्रह्मांड के निर्माण के समय भगवान विष्णु के नाभि से कमल के पत्ते पृथ्वी पर गिरे वह क्षेत्र पद्म और कमल क्षेत्र में बदल गए और राजिम का कुलेश्वर मंदिर इन्हीं क्षेत्रों का केंद्र बना जिसके चारों ओर पांच शिवलिंग स्थापित हुए.
हर साल त्रिवेणी संगम राजिम में माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक 15 दिनों तक मेला लगता है जिसे राजिम कुंभ मेला कहा जाता हैं. आपको बता दें कि 2005 में जब भाजपा सरकार शासन में थी तो उनके ही शासनकाल मे राजिम कुंभ मेला की शुरूआत हुई थी लेकिन जब 2018 सरकार बदली और कांग्रेस सरकार आई तो राजिम कुंभ कल्प से बदलकर राजिम माघी पुन्नी मेला रखा गया लेकिन फिर जब पांच (5) साल बाद भाजपा सरकार आई तो पुनः नाम राजिम कुंभ कल्प मेला रखा गया है.
जानते हैं 2025 में राजिम कुंभ कल्प मेला कब से शुरू होगा :
साल 2025 में राजिम कुंभ कल्प मेला 52 एकड़ भूमि पर आयोजित किया जाएगा जिसकी शुरुआत होगी माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक होगी और इन साल 2025 में राजिम कुंभ कल्प मेला 12 फरवरी 2025 दिन बुधवार से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 दिन बुधवार को समाप्त होगी.
जानते हैं राजिम कुंभ कल्प मेला 2025 का विशेष स्नान :
त्रिवेणी संगम राजिम में तीन महत्वपूर्ण स्नान की मान्यता है जिसमें पहला विशेष स्नान 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा के दिन इसके बाद जानकी जयंती 21 फरवरी 2025 दिन शुक्रवार के अवसर पर संत समागम होगा तो वहीं महाशिवरात्रि के पावन दिन 26 फरवरी 2025 दिन बुधवार को शाही स्नान का आयोजन किया जाएगा.
जानते हैं क्या खासियत रहेगी 2025 राजिम कुंभ कल्प मेला की :
हर साल राजिम कुंभ कल्प मेला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर सोंढूर, पैरी और महानदी के त्रिवेणी संगम तट राजिम में लगता है लेकिन इस साल यह मेला यहां से 750 मीटर दूर लक्ष्मण झूला और चौबे बांधा के बीच आयोजित किया जाएगा. 15 दिनों तक चलने वाले इस कुंभ कल्प मेला में हर साल के समान साधु संतों का विराट समागम होगा विशेषकर माघ पूर्णिमा स्नान, जानकी जयंती के अवसर और शाही स्नान पर संत समागम विशेष रूप से आयोजित होगा इसके साथ ही रोजाना सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन, मेला, मड़ई, मीना बाजार और विभागीय प्रदर्शनी इस मेले का विशेष आकर्षण रहेगा तो वहीं देश प्रदेश के कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे. राजिम में होने वाले इस भव्य आयोजन में हरिद्वार, काशी, मथुरा, अयोध्या, चित्रकूट समेत देश भर के कई स्थानों से साधु – संत, पीठाधीश्वर, मठाधीश, महात्मा, शंकराचार्य और विभिन्न अखाड़ों से संत और नागा साधु पँहुचते हैं लेकिन माना जा रहा है कि इस बार राजिम मेला में आयोजन थोड़ा फीका हो सकता है जिसका कारण है प्रयागराज में होना वाला कुंभ हैं और अखाड़ों के साधु संत प्रयागराज में इस बार कल्पवास कर रहे हैं तो हो सकता है कि ऐसे में साधु संतों की संख्या राजिम में इस बार कम हो सकती हैं.
जानते हैं राजिम कुंभ कल्प मेले का महत्व :
राजिम कुंभ कल्प मेला सांस्कृतिक परंपरा में महत्वपूर्ण है और इसे पुन्नी अर्थात पवित्र शुद्ध स्थान के रूप में जाना जाता है. इस मेले का आयोजन विशेष धार्मिक आधार पर होता है जिसमें भगवान शिव पार्वती और गणेश भगवान की पूजा की जाती है पूजा के समय लोग स्नान करने के लिए नदी में जाते हैं और फिर पवित्र स्थान पर पूजा अर्चना करते हैं. यह राजिम का मेला छत्तीसगढ़ को देशभर में धर्म कला और संस्कृति की त्रिवेणी के रूप में प्रसिद्ध कर दिया है और एक नई पहचान भी दी है ऐसा कहा जाता हैं कि अनादि काल से छत्तीसगढ़ियों के विश्वास और पवित्रता का दूसरा नाम राजिम कुंभ कल्प मेला है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) छत्तीसगढ़ का प्रयाग किस शहर को कहा जाता हैं ?
राजिम.
2) राजिम किन तीन नदियों का त्रिवेणी संगम हैं ?
महानदी, पैरी और सोंढूर नदी.
3) राजिम कुंभ कल्प मेला कब से कब तक होता हैं ?
माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक.
4) साल 2025 में राजिम कुंभ मेला कब से है ?
12 फरवरी से 26 फरवरी 2025 तक.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.