Maa Tripura Sundari | गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा अर्चना किया जाता हैं. माँ त्रिपुर सुंदरी को यौवन और आकर्षण की देवी माना गया है जो कि तीनों लोकों में विराजमान है और इनको और कई नामों से जाना जाता हैं जैसे कि षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, कामाक्षी, कामेश्वरी, राज – राजेश्वरी, बाला, मीनाक्षी इत्यादि. मान्यता है कि अगर कोई साधक गुप्त नवरात्रि में सच्चे मन से माँ त्रिपुर सुंदरी की आराधना करता है कि उसके जीवन की सभी परेशानियां दूर होने के साथ ही जीवन में सुख – समृद्धि की प्राप्ति होती हैं. शास्त्रों के अनुसार माँ त्रिपुर सुंदरी की साधना बहुत कठिन और चमत्कारिक फलदायक होती हैं तो चलिए जानते हैं माँ त्रिपुर सुंदरी के बारे में विस्तार से.
जानते हैं माँ त्रिपुर सुंदरी के स्वरूप को :
माँ त्रिपुर सुंदरी चार भुजाओं को धारण करके इनमें पाश, अंकुश, धनुष और बाण हैं. इनके तीन नेत्र और मस्तक पर अर्ध चंद्र को धारण करके शांत मुद्रा में लेते हुए भगवान शिव की नाभि से निर्गत कमल आसान पर विराजमान हैं.
जानते हैं माँ त्रिपुर सुंदरी की उत्पत्ति को :
माँ त्रिपुर सुंदरी की उत्पत्ति को लेकर एक पौराणिक कथा अनुसार भगवान शिव के हृदय में धारण करने वाली सती नैमिष में लिंगधारिणी नाम से प्रचलित हुई देवी त्रिपुर सुंदरी को ललिता देवी के नाम से पुकारा जाने लगा तो वहीं एक अन्य कथानुसार माँ त्रिपुर सुंदरी देवी की उत्पत्ति उस समय हुई जब भगवान द्वारा छोड़े गए चक्र से पाताल खत्म होने लगा तब इस स्थिति को देखकर ऋषि – मुनि घबरा गए क्योंकि पृथ्वी लोक में पानी भरने लगा तब समस्त ऋषि – मुनि माँ ललिता देवी की उपासना किया और उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर माँ ललिता देवी प्रकट हुई और इस विनाशकारी चक्र को रोक दिया जिससे पुनः सृष्टि को नवजीवन मिला.
जानते हैं माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा विधि और मंत्र को :
1) गुप्त नवरात्रि में माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा को करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके साफ स्वच्छ वस्त्र को धारण करें हो सकें तो सफेद रंग के वस्त्र को धारण करें.
2) इसके पश्चात एक चौकी को गंगाजल से छिड़क कर उसे शुद्ध करके उस पर सफेद रंग के वस्त्र को बिछाकर उस पर माँ त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें लेकिन ध्यान रखें कि उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठे और पूजा करें.
3) अब माँ त्रिपुर सुंदरी को कुमकुम को लगाएं और उनको पुष्प, अक्षत, फल को अर्पित करें.
4) इसके पश्चात माँ त्रिपुर सुंदरी को खीर या फिर दूध से बनी भोग को लगाएं और माँ की सच्चे मन से विधिवत पूजा अर्चना करके इनकी कथा को पढ़ें या फिर सुनें और अंत में माँ की आरती करें.
5) पूजा को समाप्त होने के बाद छोटी कन्याओं को प्रसाद देने के साथ घर के सदस्यों में प्रसाद वितरण करें और फिर स्वंय प्रसाद को ग्रहण करें.
माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा के साथ इस मंत्र को 108 बार जाप अवश्य करें – ” ॐ ऐं ह्रीं श्रीं सुंदरीयै नमः “
जानते माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा के महत्व को :
दस महाविद्याओं में से माँ त्रिपुर सुंदरी तीसरी विद्या होती हैं जिनको यौवन और आकर्षक की देवी कहा जाता हैं मान्यता है कि माँ त्रिपुर सुंदरी तीनों लोकों में सबसे सुंदर हैं जिसको माँ पार्वती का प्रतिनिधित्व करने वाली तांत्रिक पार्वती भी कहा जाता हैं. कहा जाता हैं कि माँ त्रिपुर सुंदरी समस्त कर्मों का अति शीघ्र फल देने वाली देवी होती हैं जिनकी पूजा करने से मान सम्मान में वृद्धि होने के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ पार्वती ने भगवान शिव से मोक्ष और गर्भवास एवं मृत्यु के असहनीय पीड़ा से मनुष्यों के मुक्ति के लिए निवारण पूछा तब भगवान शिव ने दस महाविद्याओं में त्रिपुर सुंदरी को अवतरित किया.
जानते हैं माँ त्रिपुर सुंदरी की शक्तिपीठ को :
माँ त्रिपुर सुंदरी का शक्तिपीठ भारत के त्रिपुरा राज्य के उदयपुर की पहाड़ी पर स्थित है मान्यता है कि यहां माता सती का दाहिना पैर (चरण )गिरा है और यहां विराजमान भैरव को त्रिपुरेश कहा जाता हैं.
उम्मीद है कि आपकों गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन को समर्पित माँ त्रिपुर सुंदरी से जुड़ा हुआ लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही गुप्त नवरात्रि से जुड़े अन्य लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) गुप्त नवरात्रि में तीसरे दिन किस देवी माँ की पूजा अर्चना किया जाता हैं ?
माँ त्रिपुर सुंदरी.
2) माँ त्रिपुर सुंदरी को कौन सी देवी कहलाती हैं ?
यौवन और आकर्षक की देवी.
3) माँ त्रिपुर सुंदरी का शक्तिपीठ कहां स्थित हैं ?
त्रिपुरा राज्य के उदयपुर.
4) माँ त्रिपुर सुंदरी के किस मंत्र का जाप करना चाहिए ?
ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.