Maa Tara Devi | हिंदू धर्म में दस महाविद्याओं में से तारा देवी दूसरी महाविद्या के रूप में जानी जाती हैं जिनकी गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा अर्चना की जाती हैं. तारा देवी को तांत्रिकों की देवी के अलावा इनको श्मशान की देवी भी कहा जाता हैं और इनकी आराधना हिन्दू और बौद्ध धर्म दोनों में किया जाता हैं माना जाता है कि तारा देवी की पूजा करने से सभी दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं क्योंकि “तारा” का अर्थ है तारने वाली अर्थात पार कराने वाली. महाविद्या तारा देवी के भी तीन (3) रूप हैं – उग्र तारा, एकजटा और नील सरस्वती. धार्मिक मान्यता है कि माँ तारा देवी की गुप्त नवरात्रि में साधना करने से साधक को मुसीबतों से बाहर निकलने के साथ उनको धन संपत्ति के अलावा साधक को ज्ञान, वाणी में तेज, शक्तिशाली व्यक्तित्व और सीखने के गुणो को भी देती हैं. तो चलिए जानते हैं माँ तारा देवी के बारे में विस्तार से.
जानते हैं माँ तारा देवी की उत्पत्ति को :
मान्यता है कि माँ तारा देवी की उत्पत्ति उस समय हुई थी जब समुद्र मंथन से विष निकला और इस विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया था लेकिन विष को ग्रहण करने से भगवान शिव के शरीर में बहुत ही जलन और पीड़ा होने लगी तब भगवान शिव की इस पीड़ा को दूर करने के लिए माँ काली ने दूसरा स्वरूप धारण करके भगवान शिव को स्तनपान कराया जिसके बाद उनके शरीर की जलन और पीड़ा शांत हुई थी. कहा जाता है कि तारा देवी काली माँ का ही दूसरा स्वरूप है.
जानते हैं माँ तारा देवी की पौराणिक कथा को :
माँ तारा देवी की उत्पत्ति से जुड़ी एक पौराणिक कथा हैं जिसके अनुसार माँ तारा देवी का जन्म मेरु पर्वत के पश्चिम भाग में चोलना नदी के किनारे पर हुआ. हयग्रीव नामक असुर के वध के लिए देवी महाकाली ने ही नील वर्ण को धारण किया था. महाकाल संहिता अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी को देवी तारा प्रकट हुई थी इसी कारण से यह तिथि को तारा – अष्टमी कहा जाता हैं और चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि की रात्रि तारा – रात्रि कहलाती हैं. धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव ने ही माता पार्वती को बताया था कि आदि काल में ही उन्होंने भयंकर मुख वाले रावण का विनाश किया जिसके कारण उनका स्वरूप तारा नाम से प्रचलित हुआ. उस समय समस्त देवताओं ने देवी पार्वती की स्तुति किया उस समय उन्होंने हाथों में खड्ग, नर मुंड, वार एवं अभय मुद्रा धारण किया था तो वहीं उन्होंने मुख से चंचल जिह्वा बाहर करके भयंकर रूप धारण किया था.
उनके इस विकराल रूप को देखकर समस्त देवता भयभीत होकर कांप रहे थे तब इनके विकराल भयंकर रुद्र रूप को शांत करने के लिए ब्रह्माजी स्वंय देवी के पास गए थे. भगवान शिव ने माता पार्वती को आगे बताया कि रावण वध के दौरान आप अपने रौद्र रूप के कारण से नग्न हो गई थी तब देवी आपकी लज्जा निवारण के लिए स्वंय ब्रह्माजी ने आपको व्याघ्र चर्म प्रदान किया था जिसके कारण से इस रूप में देवी लम्बोदरी नाम से विख्यात हुई. तारा रहस्य के अनुसार भगवान राम केवल निमित्त मात्र थे वास्तव में तारा देवी ही भगवान राम की विध्वंसक शक्ति थी और इन्होंने ही लंका पति रावण का वध किया था.
जानते हैं माँ तारा देवी के शक्तिपीठ को :
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित हैं तारापीठ शक्तिपीठ मान्यता है कि यहां देवी सती की आंख का तारा गिरा था इसी कारण यह स्थान तारापीठ के नाम से विख्यात हैं मान्यता है कि इसी स्थान पर महर्षि वशिष्ठ ने देवी तारा की उपासना करके सिद्धियां को प्राप्त किया था.
जानते हैं माँ तारा देवी के महत्व और मंत्र को :
तारा देवी तांत्रिकों की प्रमुख देवी कहलाने के साथ इनको तारने वाली माता भी कहा जाता हैं मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने भी तारा माँ की आराधना किया था तो वहीं महर्षि वशिष्ठ ने भी पूर्णता को प्राप्त करने के लिए तारा माँ की आराधना किया था. माँ तारा देवी को शत्रुओं का नाश करने वाली सौंदर्य, रूप ऐश्वर्य को देने के साथ ही यह आर्थिक उन्नति और भोग दान एवं मोक्ष भी प्रदान करती हैं. मान्यता है कि जो भी साधक या भक्त माँ तारा देवी की सच्चे मन से भक्ति करता है उसकी कैसी भी मनोकामनाएं हो वह शीघ्र ही पूरी हो जाती हैं
तारा देवी माँ के इस मंत्र को नीले कांच की माला से प्रतिदिन बारह माला करना चाहिए “ॐ ह्रीं स्त्रीं हुम् फट”.
उम्मीद है कि आपको गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन को समर्पित माँ तारा देवी से जुड़ा हुआ लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपनें परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही गुप्त नवरात्रि से जुड़े अन्य लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन किस देवी की पूजा आराधना किया जाता हैं ?
माँ तारा देवी.
2) माँ तारा देवी के कौन – कौन से तीन स्वरूप हैं ?
तारा, एकजटा और नील सरस्वती.
3) श्मशान की देवी किनको कहा जाता हैं ?
माँ तारा देवी .
4) माँ तारा देवी को और किस नाम से जाना जाता हैं ?
तांत्रिकों की देवी.
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