Varaha Avatar | आखिर क्यों लिया भगवान विष्णु ने वराह अवतार ? जानेगे इस के पीछे पौराणिक कथा को.

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Varaha Avatar | भगवान विष्णु (Vishnu) ने कुल 24 अवतार लिए है जिनमें से मत्स्य अवतार और कच्छप अवतार के बाद वराह अवतार उनका तीसरा अवतार था. भगवान के वराह अवतार की पूजा वरुथिनी एकादशी के दिन की जाती हैं इस अवतार में भगवान का मुख सुअर का था और शरीर मानव के स्वरूप का था. वराह अवतार में भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी जी का स्वरूप भू देवी से विवाह भी किया था.

Varaha Avatar | जानते है इस अवतार के पीछे की पौराणिक कथा को :

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सप्त ऋषि बैकुंठ जा रहे थे तब बैकुंठ लोक के द्वारपाल जय और विजय ने सप्त ऋषियों को द्वार पर रोक लिया जिससे सप्त ऋषि क्रोधित होकर दोनों द्वारपाल को श्राप दिया कि वे दोनों को तीन जन्मों तक पृथ्वी पर दैत्य बनकर रहना पड़ेगा. पहले जन्म में दोनों ने कश्यप और दिति के पुत्रों के रूप में जन्म लिया और हिरण्यकश्यप व हिरण्याक्ष कहलाए. दोनों दैत्यों ने पृथ्वीवासियों को परेशान करना शुरू कर दिया वे लोगों को यज्ञ और अनुष्ठान में रुकावटें डालते थे. लोगों में इन दैत्यों के अत्याचार के कारण हाहाकार मच गया.

हिरण्याक्ष तो यज्ञ आदि धर्म कर्म  करने वाले को पीड़ित करना शुरू करने लगा. हिरण्याक्ष में हिरण्य मतलब स्वर्ग और अक्ष यानि आंखे जिसकी आंखे दूसरे के धन पर लगी रहती हो. एक दिन हिरण्याक्ष घूमते हुए वरुण की नगरी में जा पहुंचा और जाकर वरुण देव को युद्ध के लिए ललकारा तब वरुण देव बोले कि “अब मुझमें युद्व लड़ने का चाव नहीं रहा तुम जैसे बलशाली वीर से लड़ने के योग्य अब मैं नहीं हूं तुम्हें विष्णुजी से युद्ध करना चाहिए” हिरण्याक्ष ने अपनी ताकत से स्वर्ग पर कब्जा करके पूरी पृथ्वी को अपने अधीन कर लिया और जब उसने पृथ्वी को ले जाकर समुंद्र में छिपा दिया तब देवताओं ने ब्रह्माजी और विष्णु जी से हिरण्याक्ष से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की.

ब्रह्मा जी ने विष्णु भगवान (Vishnu) का ध्यान करते हुए अपने नासिका से वराह नारायण को जन्म दिया भगवान विष्णु के इस स्वरूप को देखकर सभी देवताओं और ऋषि मुनियों ने उनकी स्तुति किया सबके अनुरोध पर वराह भगवान ने पृथ्वी को खोजना शुरू किया. अपनी थूथनी की मदद से वराह देव ने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुंद्र के भीतर जाकर अपने दांतों पर पृथ्वी को रखकर समुंद्र से बाहर ले आए जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उस दैत्य ने विष्णु भगवान के वराह अवतार को युद्ध के लिए ललकारा फिर भगवान वराह और हिरण्याक्ष के बीच भीषण लड़ाई हुआ और अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया इसके पश्चात भगवान वराह (Varaha) ने अपने खुरों से जल को स्तम्भित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया इसके बाद वराह भगवान अंतध्यार्न हो गए.


FAQ – सामान्य प्रश्न

भगवान विष्णु ने तीसरा अवतार कौन सा है?

 वराह अवतार

हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष के माता पिता कौन थे ?

माता दिति – पिता कश्यप

विष्णु जी के वराह अवतार का जन्म कैसे हुआ ?

ब्रह्मा जी की नासिका से

विष्णु भगवान का वराह अवतार का स्वरूप कैसा था ?

वराह अवतार में भगवान का मुख सुअर का और शरीर मनुष्य का था

वराह अवतार में भगवान विष्णु ने किसका वध किया ?

दैत्य हिरण्याक्ष का

वराह अवतार में भगवान विष्णु ने किसकी रक्षा की ?

पृथ्वी

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