Karma Puja 2023 Date| भाई-बहन का पर्व कर्मा धर्मा कब है, जानेंगे यह पर्व किस किस राज्य का पारंपरिक और प्रसिद्ध त्यौहार है.

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Karma Puja 2023 Date| कर्मा धर्मा व्रत भाई-बहन के प्यार का पर्व माना जाता हैं. इस पर्व को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य होता है कि बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु के साथ ही भाई के जीवन में सुख और समृद्धि की कामना करती हैं.महिलायें और बहने इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाती हैं और अपने भाई की लंबी उम्र और सुख सलामती प्यार स्नेह के लिए व्रत रखती हैं. यह पर्व करने के लिए महिलाएं और शादीशुदा बहनें अपने मायके भी आती हैं यह पूजा भाई बहन मिलकर किया करते है और जो बहनें अपने ससुराल से मायके नही आ सकती उन बहनों को उसके मायके से कपड़ा, दही, चिवड़ा, सेब, खीरा, अमरूद और भी बहुत कुछ भेजा जाता हैं इसके अलावा यह त्यौहार पर्यावरण की पूजा का भी पर्व होता हैं जिसका उद्देश्य यह भी रहा कि किसानों द्वारा बोई गई फसल कभी खराब ना हो और हर साल अधिक से अधिक फसलें हो और किसानों को फसलों के द्वारा धन की प्राप्ति हो.

Karma Puja 2023 Date| जानते है कर्मा धर्मा पर्व कब मनाया जाता हैं :

हिन्दू पंचाग के अनुसार यह पर्व हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता हैं.

जानते हैं इस साल 2023 में कर्मा धर्मा पर्व कब मनाया जायेगा

इस साल (Karma Puja Kab hai 2023) कर्मा धर्मा पर्व 25 सितंबर 2023 दिन सोमवार को मनाया जायेगा.

Karma Puja 2023 Date| जानते हैं कर्मा धर्मा व्रत की पूजा विधि को :

कर्मा धर्मा का व्रत रखने के लिए व्रत के पहले दिन की सुबह व्रती महिलाएं और लड़कियां बालों को धोकर कर स्नान करती हैं और जिस दिन व्रत रखना होता है उस दिन की सुबह के तीन (3) या फिर चार (4) बजे तक शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाकर खाती हैं, चार बजे के बाद पानी की एक बूंद भी नही लेती हैं और इसके बाद व्रत के दिन शाम के समय जिस स्थान पर पूजा करनी होती हैं उसको गोबर और पानी मिलाकर अच्छे से जमीन को शुद्ध कर लिया जाता हैं ज़मीन को शुद्ध करने के बाद व्रती स्नान करके नए कपड़े और पूरा श्रृंगार करने के बाद केला, सेब, अमरूद, खीरा इन सबको काटकर चिवड़ा में मिलाकर थाली या फिर छोटी सी टोकरी में रख दिया जाता हैं, अब शुद्ध किये हुए जमीन पर कर्म वृक्ष की डाली (जो कि एक तरह से धान का झुंड) को खुदाई करके पौधे जैसे गाड़ दिया जाता हैं और डाली के सब फलों में से एक – एक लेकर उसी कर्म वृक्ष की डाली मेंरखा जाता हैं जितने भाई होते हैं उतनी बार डाली में फल रखी जाती हैं इसके बाद कर्म राजा से बहनें प्रार्थना करती हैं – हे कर्म के राजा ! मैं अपने भाई के सुख समृद्धि की कामना करती हूं, कभी भी मेरे भाई को गलत रास्ते पर जाने मत दीजिएगा.

इस कामना में बहन के शुद्ध विचार व त्याग की भावना के साथ भाई बहन का अटूट प्यार  दिखाई देता है. पूजा की समाप्ति के बाद कर्म कथा सुनाई जाती हैं जिसमें कर्म और कर्मा धर्मा की कहानी होती हैं इस कहानी का उद्देश्य अच्छे व सच्चे कर्म करना चाहिए. कहानी सुनने के बाद सभी व्रती कर्म डाली को गले लगाती हैं इसके पश्चात रात भऱ लोक गीत और नृत्य होता रहता है. व्रत के अगले दिन यानि कि पारण के दिन व्रती सुबह स्नान तैयार होकर दाल चावल और दक्षिणा में अपने समर्थनुसार रुपये को छूकर पंडित जी को या फिर मंदिर में दान करके व्रती भोजन करती हैं.

Karma Puja 2023 Date| अब जानते हैं यह पर्व किस किस राज्य का पारंपरिक और प्रसिद्ध त्यौहार हैं :

कर्मा धर्मा पर्व और व्रत को शायद ही सब राज्यों के लोग जानते या मानते हैं लेकिन यह पर्व बहुत से राज्यों में प्रसिद्ध हैं जिनमें मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में मनाया जाता हैं जिसमें खासकर छत्तीसगढ़ और झारखंड में रहने वाले आदिवासी व गैर आदिवासी सम्प्रदाय के लोग इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं.

माना जाता है कि झारखंड में कर्मा और धर्मा नाम के दो भाई थे जिनमें कर्मा लोगों को कर्म की महत्ता बनाएं रखने के लिए राह दिखाए करता था तो वहीं धर्मा लोगों को शुद्ध व्यवहार और धार्मिक जीवन का रास्ता को बताता था. लोग इन दोनों भाइयों में कर्म को देव स्वरूप मानते और उसे खुश करने के लिए उनकी पूजा अर्चना करते और हर साल उसके सामने लोक नृत्य भी किया करते इसी परंपरा को लोगों ने याद रखा और अब तक इस पर्व को इसी तरह मनाने लगे झारखंड की अन्य जनजाति का मानना है कि कर्मी नाम के एक वृक्ष पर कर्मसेनी देवी रहती हैं और अगर उन्हें खुश व प्रसन्न कर दिया जाए तो घर में सुख समृद्धि आती हैं इसलिए घर में कर्मी वृक्ष की डाली लगाकर कर्मसेनी देवी की पूजा करते हैं और रात भर नृत्य करते हैं ताकि देवी माँ प्रसन्न हो जाए.

छत्तीसगढ़ के अलग अलग क्षेत्रों में रहने वाले जनजातियों के अनुसार राजा कर्म ने अपने ऊपर विपत्ति आने पर अपने इष्ट देवता को मनाने के लिए पूरी रात नृत्य किया जिससे उनकी विपत्ति दूर हो गई थी तब से ही यह त्यौहार प्रसिद्ध हैं तो वहीं छत्तीसगढ़ के उरांव जनजाति के अनुसार अच्छी फसल की कामना के लिए लोगों द्वारा नृत्य किया जाता हैं जिससे कर्म देवता  खुश और प्रसन्न हो जाए.


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 FAQ – सामान्य प्रश्न

इस साल 2023 में कर्मा धर्मा पर्व कब मनाया जायेगा ?

25 सितंबर 2023 दिन सोमवार

कर्मा धर्मा पर्व किसने प्रेम का प्रतीक होता हैं ?

भाई – बहन

कर्मा धर्मा किस किस राज्य का प्रसिद्ध पर्व है ?

उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल. 


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