Maa Tripura Bhairavi | गुप्त नवरात्रि का छठवां दिन माँ त्रिपुर भैरवी को समर्पित किया है जिसको बंदीछोड़ माता भी कहा जाता हैं. मान्यता है कि गुप्त नवरात्र के छठवें दिन माँ त्रिपुर भैरवी की विधि विधान से पूजा करने से साधक के अहंकार के साथ उसके सभी कष्टों का नाश होने के अलावा इस माँ की पूजा करने से सभी तरह की आर्थिक समस्याएं दूर होने के साथ जीवन में सफलता और योग्य पुत्र की भी प्राप्ति होती हैं लेकिन माँ त्रिपुर भैरवी की साधना एकांत में की जाती हैं. महाविद्या की यह छठवीं शक्ति माँ त्रिपुर भैरवी माँ काली का स्वरूप मानी गई हैं जिसमें त्रिपुर का अर्थ तीनों लोकों और भैरवी का संबंध काल भैरव से है तो चलिए जानते हैं माँ त्रिपुर भैरवी के बारे में विस्तार से.
जानते हैं माँ त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति को :
पौराणिक कथानुसार एक बार माँ महाकाली के मन में पुनः गोरा रंग प्राप्त करने का विचार आया जिसके बाद महाकाली अंतर्ध्यान हो गई और जब भगवान शिव अपने समक्ष महाकाली को नहीं पाया तो चिंतित हुए और देवी के बारे में देवर्षि नारद मुनि से पूछते हैं तब नारद मुनि ने देवी के बारे में बताते हुए कहा कि वह उत्तरी सुमेरु में प्रकट होगी तब नारद जी को भगवान शिव के आदेश के अनुसार देवी को खोजने के लिए निकल पड़े और उत्तरी सुमेरु पंहुचने पर देवी के सामने नारद ने शिवजी से विवाह करने का प्रस्ताव को रखा.
नारद जी के प्रस्ताव को सुनकर देवी क्रोधित होकर अपने शरीर से अपना षोडशी रूप को प्रकट किया अर्थात त्रिपुर भैरवी महाकाली के छाया रूप से प्रकट हुई हैं. देवी भागवत के अनुसार छठी महाविद्या त्रिपुर भैरवी महाकाली का ही रौद्र रूप हैं जिनके कई भेद है जैसे कि त्रिपुर भैरवी, चैतन्य, सिद्ध, भुवनेश्वर, कमलेश्वरी, कैलेश्वर, कामेश्वरी, नित्या, रुद्र, भद्र और शतकुत. दुर्गा सप्तशती के अनुसार त्रिपुर भैरवी के उग्र स्वरूप की कांति हजारों उगते सूर्य के समान हैं.
जानते हैं माँ त्रिपुर भैरवी के स्वरूप को :
माँ त्रिपुर भैरवी का स्वरूप माँ काली के समान है. माँ के तीन नेत्र व चार भुजाएं और माँ के बाल खुले हुए हैं इसके अलावा भगवती त्रिपुर भैरवी कंठ में मुंड माला और अपने हाथों में माला धारण किये हुए हैं शास्त्रों के अनुसार माँ त्रिपुर भैरवी को और भी कई नामों से जाना जाता हैं जैसे कि रुद्र भैरवी, चैतन्य भैरवी, नित्य भैरवी, भद्र भैरवी, कौलेश भैरवी, श्मशान भैरवी एवं संपत प्रदा भैरवी. मान्यता है कि माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा में लाल रंग के पुष्पों को अर्पित करने से माँ बहुत जल्द ही प्रसन्न होकर साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
जानते हैं माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा विधि को :
माँ भगवती त्रिपुर भैरवी की साधना सदैव एकांत में एवं इस विधि विधान से करना चाहिए :
1) माँ त्रिपुर भैरवी की साधना करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके लाल रंग के साफ स्वच्छ वस्त्र को धारण करें.
2) अब पूजा करने के लिए पूजा स्थल को साफ करके लकड़ी के एक चौकी को गंगाजल से शुद्ध करके उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं.
3) अब चौकी पर माँ त्रिपुर भैरवी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करके माँ को लाल रंग के वस्त्र ओर श्रृंगार की सामाग्री को चढ़ाएं.
4) इसके पश्चात माँ को पुष्प (लाल रंग के गुलाब या गुड़हल) फल, मिठाई, और चमेली के इत्र को अर्पित करें.
5) अब माँ के समक्ष तिल का दीपक और धूप को जलाएं और माँ त्रिपुर भैरवी के मंत्रों का जाप करके माँ की कपूर से आरती करें.
जानते हैं माँ त्रिपुर भैरवी के मंत्रों को :
“ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा”
इस मंत्र का जाप मूंगे की माला से 15 बार करना चाहिए .
जानते हैं माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा का महत्व :
गुप्त नवरात्रि में माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से सभी प्रकार के कानूनी मामलों से छुटकारा मिलने के साथ ही विभिन्न प्रकार के रोगों से भी मुक्ति मिलने के अलावा करियर और कारोबार में भी वृद्धि होती हैं मान्यता है कि अगर कोई माँ त्रिपुर भैरवी की सच्चे मन से आराधना करता है तो उसकी मनवांछित विवाह की इच्छा पूर्ण हो जाती हैं और उसके समस्त पापों का नाश भी हो जाता हैं.
जानते हैं माँ त्रिपुर भैरवी मंदिर के बारे में :
माँ त्रिपुर भैरवी का मंदिर वाराणसी की विशिष्टि शैली की गालियां में स्थित है जहां पर माँ त्रिपुर भैरवी की मूर्ति है.
उम्मीद है कि आपको गुप्त नवरात्रि के छठवें दिन को समर्पित मां त्रिपुर भैरवी देवी से जुड़ा हुआ यह लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही अन्य गुप्त नवरात्रि से जुड़े लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहे madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) गुप्त नवरात्रि के छठवें दिन किस माँ की साधना की जाती हैं ?
माँ त्रिपुर भैरवी.
2) माँ त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति किसके छाया विग्रह से हुआ है ?
महाकाली.
3) माँ त्रिपुर भैरवी का किस मंत्र का जाप करना चाहिए ?
” ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा ”
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.