Maa Dhumavati Devi | गुप्त नवरात्रि का सांतवा दिन माँ धूमावती को समर्पित है. माँ धूमावती का स्वरूप नकारात्मक और सकारात्मक गुणों का मिश्रण होने के साथ इनको विधवा और वृद्ध माना जाता हैं. मान्यता है कि माँ धूमावती के दर्शन करने से पति और संतान को सुरक्षित रखा जा सकता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि विवाहित महिलाएं माँ धूमावती की पूजा नहीं कर सकती बल्कि दूर से ही माँ के दर्शन करती हैं. माँ धूमावती अपने भक्तों के सभी कष्ट को दूर करने वाली भी मानी जाती है तो चलिए जानते हैं माँ धूमावती के बारे में विस्तार से.
जानते हैं माँ धूमावती की उत्पत्ति को :
पौराणिक कथानुसार भगवान शंकर के अपमान होने के कारण जब माँ सती ने अपने पिता राजा दक्ष प्रजापति के द्वारा आयोजित यज्ञ कुंड में अपनी इच्छा अपने आप को जलाकर भस्म कर दिया था माना जाता है कि तब उनके धुंए से माँ धूमावती अवतरित हुई थी यानि कि माँ धूमावती धुंए के स्वरूप में माँ सती का भौतिक रूप हैं तो वही माँ धूमावती को दुःख दूर करने वाली देवी माना जाता हैं. पद्म पुराण के अनुसार माँ धूमावती को धन की देवी माँ लक्ष्मी की बड़ी बहन भी बताया गया है किंतु इनका स्वरूप माँ लक्ष्मी से बिल्कुल विपरीत है. शास्त्रों के अनुसार माँ धूमावती पीपल के वृक्ष पर निवास करती हैं. मान्यता है कि धूमावती दरिद्रता, अलक्ष्मी और ज्येष्ठा के नाम से भी जानी जाती हैं जिसका पाप, आलस्य, गरीबी, दुख और कुरुपता पर आधिपत्य रहता हैं यही कारण है कि इस रूप में देवी माँ के मुख पर बेचैनी, व्याकुलता, दरिद्रता, संशय, तड़प और थकान एक साथ दिखाई देते हैं.
जानते हैं माँ धूमावती देवी का स्वरूप :
माँ धूमावती देवी एक रथ पर बिना घोड़े के बैठी दिखती है जिसके शीर्ष पर एक कौआ बैठा हुआ है. माँ के एक हाथ में टोकरी हैं तो वही दूसरा हाथ अभय मुद्रा में या फिर ज्ञान देने की मुद्रा में हैं इनको विधवा होने का श्राप मिला है जिसके कारण यह श्वेत वस्त्र को धारण किया है इसके अलावा इनका रूप मलीन वस्त्र धारण किए हुए, भयभीत करने वाली, मन में विकार पैदा करने वाली, भूख – प्यास से बैचेन और बड़े दांत व पेट वाली हैं किंतु इनके इस स्वरूप में गहरा आध्यात्मिक अर्थ भी छुपा हुआ है जिसमें घोड़ा रहित रथ कामना और इच्छारहित जीवन को बतलाता हैं तो वहीं इनका दरिद्रता रूप मनुष्य जीवन की कठोर सच्चाइयों को बतलाता हैं.
क्यों भगवान शिव को माँ धूमावती देवी ने निगल लिया था :
मान्यतानुसार एक बार माता पार्वती को बहुत ही तेज भूख लगी तो उन्होंने महादेव भगवान शंकर से भोजन को मांगा किंतु कैलाश पर भोजन उपलब्ध नहीं होने से महादेव ने उनको कुछ समय प्रतीक्षा करने को कहा. माता पार्वती कुछ समय तक प्रतीक्षा तो किया पर थोड़े देर बाद उनकी भूख इतनी बेकाबू हो गई कि उन्होंने व्याकुलता में भगवान शंकर को ही निगल लिया लेकिन भगवान शिव के शरीर में स्थित समुंद मंथन का विष भगवान शिव के निगलते ही माता के शरीर को जलाने लगा जिसके वजह से उनके शरीर से धुआं निकलने लगा और फिर विष के असर से माता पार्वती का शरीर धीरे धीरे वृद्ध होने लगा और शरीर में जगह – जगह झुर्रियां पड़ने लगी. माता पार्वती इस पीड़ा से व्याकुल होकर शंकर जी को अपने मुहं से बाहर उगल दिया और तब भगवान शंकर बाहर आकर क्रोध में उनको विधवा कह दिया क्योंकि उन्होंने भूख से व्याकुल होकर अपने पति को ही निगल लिया था यही कारण है कि माता पार्वती के इस रूप को दरिद्र, भूख से व्याकुल एवं बेचैन देवी के रूप में दर्शाया गया है.
जानते हैं माँ धूमावती देवी की पूजा विधि को :
1) सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके घर और मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें.
2) अब एक चौकी पर सफेद रंग के कपड़ा बिछाकर उस पर माँ धूमावती की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करके माँ को कुमकुम का तिलक लगाएं.
3) इसके पश्चात माँ को सफेद रंग के पुष्प, आक के पुष्प और सफेद रंग के वस्त्र को अर्पित करने के बाद सरसों तेल का दीपक को जलाएं और लोबान से धूप करें.
4) अब माँ को फल और भोग के रूप में उड़द दाल की खिचड़ी चढ़ाएं और माँ धूमावती के मंत्र का 108 बार जाप करें.
5) अब कपूर से माँ की आरती करें और पूजा के बाद माँ से माफी मांग लें.
6) पूजा संपन्न होने के बाद माँ को चढ़ाए हुए भोग को सभी में बांट दें.
जानते हैं माँ धूमावती के मंत्र को :
ॐ धूं धूं धुमावत्यै फट । धूं धूं धूमावती ठ: ठ: ॥
माँ धूमावती के इस मंत्र का जाप कम से कम 21, 51 या फिर 108 बार करना चाहिए मान्यता है कि इससे माँ प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं.
जानते हैं माँ धूमावती की पूजा का महत्व :
माँ धूमावती का स्वरूप भले ही नकारात्मक होता है पर इनकी पूजा करने से व्यक्ति के संकटों का हरण होने के साथ अभाव भी दूर होता है. मान्यता है कि माँ धूमावती अपने भक्तों की हर तरह की कमी को दूर करने के साथ ही यह भूख को शांत करने के साथ उनको अभय होने का आशीर्वाद भी देती हैं लेकिन विवाहित महिलाओं को इनकी पूजा करने की मनाही होती हैं फिर भी माँ का यह स्वरूप परिवार में कलह का निवारण करने के साथ परिवार को कई बाधाओं से बचाता भी है.
उम्मीद है कि आपको गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन को समर्पित मां धूमावती से जुड़ा हुआ यह लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के शेयर करें और ऐसे ही गुप्त नवरात्रि से जुड़े लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन किस देवी की पूजा अर्चना की जाती हैं ?
माँ धूमावती देवी.
2) माँ धूमावती का स्वरुप किन गुणों का मिश्रण हैं ?
नकारात्मक और सकारात्मक गुण.
3) पद्म पुराण के अनुसार माँ धूमावती देवी किस देवी की बड़ी बहन मानी जाती हैं ?
माँ लक्ष्मी.
4) माँ धूमावती देवी ने किसको निगल लिया था ?
भगवान शंकर.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.