Mahadev | महादेव त्रिमूर्ति भगवान शिव देवों के देव कहे जाते है.भगवान ब्रह्मा को विश्व रचयिता, भगवान विष्णु को संरक्षक देवता और भगवान शिव को संसार का विनाशक माना जाता हैं. इन्हें असीम निराकार और तीनों देवताओं में भी सबसे बड़े माने गए हैं. भगवान शिव (Shiv) ने इस संसार को बचाने के लिये समुद्र मंथन से निकले विष को अपने कंठ में धारण का लिया था.
Mahadev | जानते हैं कि भगवान शिव क्यों कहे जा हैं नीलकंठ महादेव
अमृत को पाने के लिए देवताओं और दैत्यों ने मिलकर समुंद्र मंथन किया लेकिन इस समुंद्र मंथन से पहले कालकूट नाम का भयंकर विष निकला जिसे ना तो देवता और ना ही दैत्य लेना चाहा इधर यह विष इतना विषैला निकला था कि इसकी अग्नि से दसों दिशाएं जलने लगीं जिससे संसार में हाहाकार मच गया था. देवता, राक्षस, ऋषि, मनुष्य, गंधर्व और यक्ष विष की गर्मी से जलने लगे हर जगह इस प्रकार से हाहाकार देख और संसार को विष से बचाने के लिए भगवान शिव विषपान को करने को तैयार हो गए. जब महादेव विष ग्रहण कर रहे थे तब उसी समय माता पार्वती ने उनका गला को दबाए रखा जिससे कि विष शिवजी के पेट तक नहीं पहुँच पाया इस तरह से विष उनके गले में ही रह गया,कालकूट विष के प्रभाव से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया और नीलकंठ महादेव के नाम से कहलाये.
समुंद्र मंथन से निकले हलाहल विष को लेने के बाद नीलकंठ महादेव कई सालों तक विश्राम किया लेकिन संसार को सुचारू रूप से बने रहे इसलिए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना किया और शिवजी फिर से वापस कैलाश पर्वत पर चले गए. भगवान शिव ने जिस जगह विषपान किया था वो उत्तराखंड के ऋषिकेश से लगभग 5500 फ़ीट की ऊँचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित हैं.
FAQ – सामान्य प्रश्न
भगवान शिव को और किन नामों से जाना जाता है
महादेव, महाकाल, आदिदेव, शंकर, जटाधारी..
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