Vidur Neeti | महाभारत के मुख्य और केंद्रीय पात्र थे विदुर, जो सदैव ज्ञान, विवेक और धर्म के लिए जाने जाते हैं क्योंकि इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ज्ञान, विवेक, धर्म और सच के आचरण पर टिका कर रखा है. विदुर को वह सम्मान नहीं मिल सका जो धृतराष्ट्र और पांडु के सौतेले भाई होने के नाते से उनको मिलना चाहिए था इसके बावजूद वे धर्म के प्रति हमेशा समर्पित थे जिन्होंने धर्म के पथ पर चलने का महत्व अपने कर्म से समझाया. माना जाता है कि विदुर अपनी विद्वता, ज्ञान और निष्पक्षता के लिए बहुत सम्मानित हुए और यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी विदुर के ज्ञान और लोगो के कल्याण के प्रति उनके समपर्ण का सदैव सम्मान किया. विदुरजी अपनी पुस्तक विदुर नीति में उनकी नीतियां समय से परे हैं जो कि हर युग और हर पीढ़ी के लिए उपयोगी सिद्ध हुई है और विदुर नीति जितनी प्राचीन काल में प्रासंगिक थी वह आज भी उतनी ही हैं.
जानते हैं विदुर नीति में किन पांच गुणों को जीवन की सफलता का आधार बताया है :
1) निष्पक्षता :
विदुर नीति के अनुसार निष्पक्षता एक साधना और तपस्या हैं जिसका अनुसरण स्वंय विदुर जी करते थे. विदुर सदैव निष्पक्ष रहें और उन्होंने बिना किसी भी पक्षपात के निर्णय लिए अगर वे पांडवों के समर्थक थे तो इसका कारण पांडवों के गुणों और धर्म – परायणता थी. विदुर की यही निष्पक्षता गुण के कारण यह कौरवों और पांडवों के बीच सम्मानित थे.
2) विवेक बल :
विदुर नीति में बुद्धि से अधिक विवेक को महत्व दिया गया है क्योंकि बुद्धि कम या फिर अधिक सभी मनुष्य में होती हैं. विदुर ने विवेकयुक्त बुद्धि को हर किसी मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति बताया है. विदुर का मानना है कि अगर व्यक्ति विवेकशील हैं तभी बुद्धिमानी से सही निर्णय ले पाएगा और अपने काम को सफल बना पाएगा.
3) मेहनत :
विदुर नीति के अनुसार जिन मनुष्य में मेहनत करने की काबिलियत नहीं होती हैं वह कभी भी सफल नहीं हो सकते हैं क्योंकि मेहनत के बल पर ही व्यक्ति जीवन में हर कदम पर सफलता को प्राप्त कर सकता हैं. विदुर अपनी पुस्तक विदुर नीति पुस्तक में उल्लेख किया है कि अगर बुद्धि और विवेक से उचित परिश्रम किया जाएं तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल या बड़ा नहीं है. मनुष्य अपनी मेहनत के बल पर किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है और दुनिया उसकी मुट्ठी में होती हैं.
4) निडरता और साहस :
विदुर नीति के अनुसार दुनिया को जीतने के लिए मनुष्य को निडर और साहसी होना बहुत आवश्यक हैं. जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों निपटने के लिए बुद्धि और विवेक से पहले निडरता और साहस जैसे गुण होना बेहद जरूरी है क्योंकि एक निडर और साहसी मनुष्य ही अपने सारे निर्णयों पर कायम रह सकता हैं.
5) ज्ञान बल :
विदुरजी स्वंय महाज्ञानी थे और यही वजह हैं कि उन्होंने ज्ञान अर्जित करने पर अधिक बल दिया है उनका मानना था कि अगर मनुष्य के पास ज्ञान है तो वही उसको बुद्धिमान और विवेकशील बनाता है क्योंकि ज्ञान एक मशाल (टॉर्च) के समान हैं जिसकी रोशनी में मनुष्य आगे बढ़ता ही जाता है और सफलता पाता ही जाता है एवं अन्य दूसरों को सही राह भी दिखाता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) विदुरजी किनके सौतेले भाई थे ?
धृतराष्ट्र और पांडु.
2) विदुर जी की पुस्तक का क्या नाम है ?
विदुर नीति.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.