Matangi Mata | हिंदू शास्त्रों में गुप्त नवरात्र को बहुत ही शुभ एवं महत्वपूर्ण माना जाता है और गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा अर्चना व साधना किया जाता हैं. गुप्त नवरात्र के नौवें दिन मातंगी माता की पूजा अर्चना किया जाता हैं. मातंगी माता वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कहलाती हैं मान्यता है कि मातंगी माता स्तम्भन की देवी हैं जिनके अंदर पूरे ब्रह्मांड की शक्तियां शामिल है शास्त्रों के अनुसार मातंगी माता तंत्र और वचन की देवी होने के साथ यह एकमात्र ऐसी देवी है जिनके लिए व्रत नहीं रखा जाता हैं यह माता सिर्फ मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं.
जानते हैं मातंगी माता की उत्पत्ति को :
धार्मिक मान्यतानुसार एक बार भगवान विष्णु माँ लक्ष्मी के साथ कैलाश पर्वत भगवान शिव और माता पार्वती से मिलने पंहुचे.उस समय भगवान विष्णु अपने साथ कुछ भोज्य सामग्री लेकर गए थे जो उन्होंने भगवान शिव को भेंट किया और जब भगवान शिव और माता पार्वती भगवान विष्णु के भेंट को स्वीकार कर रहे थे कि उस समय भेंट का कुछ अंश धरती पर गिर गया जिससे एक श्याम वर्ण वाली दासी ने जन्म लिया जो कि मातंगी के नाम से विख्यात हुई तो वही एक अन्य कथानुसार ऋषि मतंग की पुत्री होने के कारण से इनका नाम मातंगी पड़ा जिन्हें भगवान विष्णु की आद्य शक्ति भी माना जाता हैं.
जानते हैं मातंगी माता के स्वरूप को :
मातंगी माता भगवान शिव की आदिशक्ति हैं जिनका रंग श्याम हैं और इन्होंने अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण किया है. मातंगी माता हमेशा लाल रंग के वस्त्र को धारण करती हैं एवं अपने पैरों में लाल पादुका और गले में लाल माला को धारण किया है और इनके हाथों में धनुष बाण, शंख, पास, कटार, छत्र, त्रिशूल, अक्ष माला रहती हैं. मान्यता है कि मातंगी माता ने तेजस्व रूप को धारण करके राक्षसों का वध किया है.
जानते हैं मातंगी माता की पूजा विधि को :
1) सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके साफ व स्वच्छ वस्त्र को धारण करें और सर्वप्रथम सूर्य देव को अर्ध्य दें.
2) इसके पश्चात घर को गंगाजल से शुद्ध करके एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर वेदी बनाकर मातंगी माता की मूर्ति, यंत्र को स्थापित करें.अगर मातंगी माता की मूर्ति नहीं हो तो तांबे की एक थाली में सिंदूर से स्वास्तिक बनाकर उस पर सुपारी को रखें और इसी सुपारी को ही यंत्र मानकर मातंगी माता की पूजा अर्चना करें.
3) इसके पश्चात माता की पूजा करते समय घी का दीपक और धूप को जलाएं.
4) इसके बाद माता को फूल, फल, अक्षत, नारियल, प्रसाद चढ़ाएं और मातंगी माता को वस्त्र, कुमकुम और श्रृंगार का सामान अर्पित करें. यहां ध्यान रखें कि मातंगी माता की पूजा में लाल रंग के फूल का उपयोग करें.
5) इसके बाद मातंगी माता के मंत्रों का जाप करें और अंत में मातंगी माता की आरती करें.
6) पूजा समाप्त होने के बादपरिवार के सदस्यों को प्रसाद वितरण करें हो सकें तो इस दिन गरीबों को समर्थनुसार दान करें मान्यता है कि इस दिन छोटी लड़कियों को देवी के रूप में पूजा की जाती हैं और उनको प्रसाद चढ़ाएं जाते हैं.
जानते हैं मातंगी माता के मंत्रों को :
मान्यता है कि जो भी साधक सच्चे मन से मातंगी माता की पूजा एवं मंत्र की साधना करता है तो माता उस साधक पर प्रसन्न होकर उसके सभी प्रकार के दुख और दरिद्रता से छुटकारा दिलाती हैं.
1) ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा ॥
2) ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंगयै फट स्वाहा ॥
जानते हैं मातंगी माता की पूजा के महत्व को :
गुप्त नवरात्रि का नौवां दिन मातंगी माता को समर्पित होता है.धार्मिक मान्यता है कि इंद्रजाल और जादुई शक्ति से मुक्ति प्राप्त करने के लिए मातंगी माता की पूजा अर्चना किया जाता हैं. कहा जाता हैं कि मातंगी माता वैवाहिक जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने वाली देवी होती है यही कारण है कि पूरे विश्वास और श्रद्धा से मातंगी माता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहने के साथ ही समस्याओं से भी मुक्ति मिलती हैं. मातंगी माता का संबंध कई तरह की तंत्र क्रियाओं और विद्याओं से होता है इसलिए देवी माँ केवल वचन द्वारा ही तीनों लोकों में संपूर्ण प्राणियों और अपने ताकतवर शत्रुओं को भी वश करने में समर्थ हैं.
उम्मीद है कि आपको गुप्त नवरात्रि के नौंवे दिन को समर्पित मातंगी माता से जुड़ा हुआ यह लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही गुप्त नवरात्रि जुड़े अन्य को पढ़ने के लिए जुड़े रहे madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन किस देवी माँ की पूजा अर्चना किया जाता हैं ?
मातंगी माता
2) मातंगी माता किसकी अधिष्ठात्री देवी कहलाती हैं ?
वाणी और संगीत.
3) मातंगी माता के किस मंत्र के जाप से जीवन सुखमय होता हैं ?
ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा.
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