Shree Krishna | महाभारत का युद्ध धर्म और अधर्म के बीच हुई जहां एक ओर कौरव सेना थी तो वहीं दूसरी ओर पांडवों की सेना थी. इस महाभारत की भीषण युद्ध मे पांडवों की जीत हुई और कौरवों को हार का मुंह देखना पड़ा जिसमें गांधारी और धृतराष्ट्र के सारे पुत्रों की मृत्यु हुई. गांधारी महाभारत की इस कथा में एक सशक्त महिला के रूप में वर्णन मिलता है कि यह हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र और दुर्योधन की माता थी जो भगवान श्रीकृष्ण को भी बहुत सम्मान करती थी लेकिन महाभारत की भीषण युद्ध के लिए उनको दोषी ठहराया क्योंकि गांधारी जानती थी कि श्रीकृष्ण चाहते तो महाभारत के युद्ध को रोक सकते थे जिससे उनके पुत्रों की जान बच जाती इन्हीं कारणों ने गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दे दिया.
भगवान श्रीकृष्ण को गांधारी ने कब दिया था मृत्यु का श्राप :
When did Gandhari curse Lord Krishna with death? जब महाभारत का भीषण युद्ध शांत हो गया तब श्रीकृष्ण पांडवों के साथ धृतराष्ट्र और गांधारी के पास उनके पुत्र दुर्योधन और बाकी पुत्रों की मृत्यु पर शोक जताने के साथ उन दोनों से क्षमा मांगने पंहुचे थे. श्रीकृष्ण को देखकर दुर्योधन की माता गांधारी ने कहा कि – आप स्वंय द्वारकाधीश हैं और जिसकी पूजा मैंने स्वयं आपको विष्णु अवतार मानकर किया. क्या आपको अपने किए पर जरा भी शर्मिंदा हैं ? क्योंकि अगर आप चाहते तो अपने दिव्य शक्तियों से इस भीषण युद्ध को टाल सकते थे. पुत्र की मृत्यु पर आंसू बहाने वाली एक माँ की वेदना व दुख को आप अपनी माँ देवकी से जाकर पूछिये जिन्होंने अपने सात पुत्रों को अपनी आंखों के आगे मृत्यु को प्राप्त होते हुए देखा है. गांधारी ने आगे पुनः श्रीकृष्ण से कहा कि – इस कृत्य के लिए आपको मैं माफ कभी नहीं करूंगी. तब श्रीकृष्ण ने गांधारी के सभी बातों को दोनों हाथों को जोड़कर धैर्यपूर्वक सुनते रहे.
गांधारी ने श्रीकृष्ण को क्या श्राप दिया था :
What curse did Gandhari give to Shri Krishna | क्रोधित गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को श्राप देते हुए बोली – कि जिस तरह से कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक इसी तरह यदुवंश का हर इंसान आपस में लड़ते हुए एक दूसरे के खून का प्यासा हो जाएगा इसके साथ ही द्वारिका भी तबाह होगा और अगर मेरी भगवान विष्णु के प्रति सच्ची श्रद्धा आस्था रही हैं तो आप 36 साल बाद जीवित नहीं रहोगें. इतना कहने के बाद भगवान श्रीकृष्ण के पैरों में गिरकर गांधारी रोने लगी तब उसे श्रीकृष्ण ने उठाते हुए कहा कि – आपके श्राप का असर एक दिन अवश्य होगा और यह केवल मेरी प्रति सच्ची श्रद्धा की वजह से नहीं बल्कि बदलते समय के कारणों से होगा.
कैसे हुआ गांधारी के श्राप का असर :
धार्मिक मान्यता है कि जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुए 36 साल पूर्ण हो जाने पर गांधारी के श्राप का असर होना शुरू हो गया जिसके चलते द्वारिका में सुदर्शन चक्र, श्रीकृष्ण का शंख उनका रथ और बलराम के हल अदृश्य होने जैसे अपशकुन आरंभ होने लगा. एक दिन द्वारिका में कुछ ऋषि – मुनि आये जिनका अपमान यदुवंशी बालकों ने किया जिससे श्राप का असर और अधिक तेजी से बढ़ने लगा. श्राप के असर बढ़ने पर एक दिन सभी ने एक ऐसा पेय पदार्थ को पी लिया जिसके तहत वे एक दूसरे को आपस में मारने लगे और इस गृहयुद्ध में सभी प्रमुख यदुवंशियों (Yaduvanshi) की मृत्यु हो गई और इस घटना के पश्चात भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारिका को छोड़ दिया क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण जान चुके थे कि गांधारी के श्राप का पूरा होने का समय आ गया है. एक दिन भगवान श्रीकृष्ण एक वृक्ष के नीचे योग समाधि ले रहे थे कि उसी समय एक शिकारी का तीर लगने के बाद उन्होंने अपनी देह त्याग दिया और इसके बाद द्वारिका भी समुद्र में डूब गई.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) भगवान श्रीकृष्ण को किसने श्राप दिया था ?
गांधारी ने.
2) गांधारी कौन थी ?
धृतराष्ट्र की पत्नी और कौरवों की माता.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.