Ketki Ka Phool | भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह से पूजा अर्चना किया जाता हैं. भगवान शिव की पूजा में धतूरा, आक और बेलपत्र को चढ़ाने के अलावा गुलाब, चंपा, कनेर और कमल जैसे फूलों को भी अर्पित किया जाता हैं मान्यता है कि भगवान शिव को सफेद रंग के फूल बहुत प्रिय होते हैं लेकिन एक ऐसा सफेद रंग का फूल हैं जिसको भगवान शिव पर नहीं चढ़ाया जाता हैं और वह फूल हैं केतकी का फूल. केतकी का फूल सफेद होने के बावजूद शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा अर्चना में इसको अर्पित नहीं किया जाता है और इसके अलावा इस फूल को शिवलिंग पर भी चढ़ाने की मनाही होती हैं.केतकी के फूल को भगवान शिव पर नहीं चढ़ाने के पीछे एक श्राप हैं जिसके कारण से इसे भगवान शिव पर नहीं चढ़ाया जाता.
Ketki Ka Phool | भगवान शिव पर केतकी का फूल क्यों नहीं चढ़ाया जाता :
शिवपुराण की एक पौराणिक कथानुसार एक बार ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु के बीच विवाद छिड़ गया कि सर्वश्रेष्ठ कौन है और विवाद इतना बढ़ गया कि इसका फैसला करने के लिए स्वयं भगवान शिव को आना पड़ा तब भगवान शिव ने एक ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति करके शिवजी ने ब्रह्माजी और विष्णुजी से कहा कि आप में से जो भी इस ज्योतिर्लिंग का आदि या अंत को बता देगा वहीं श्रेष्ठ कहलायेगा. इस पर ज्योतिर्लिंग का आरंभ खोजने के लिए ब्रह्माजी नीचे की ओर जाने का निर्णय लिया तो वहीं भगवान विष्णु ज्योतिर्लिंग का अंत को खोजने के लिए ऊपर की ओर चले गए.
ब्रह्माजी नीचे की ओर जाते समय देखा कि एक केतकी फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है तो उन्होंने केतकी के फूल को बहला फुसलाकर भगवान शिव (Lord Shiva) के समक्ष झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया. इसके पश्चात ब्रह्माजी और केतकी का फूल भगवान शिव के पास पंहुचकर कहा – कि वे ज्योतिर्लिंग कहां से उत्पन्न हुई है इसका पता लगा लिया है जिसका साक्षी उन्होंने केतकी के फूल को बताया तो वहीं दूसरी ओर से भगवान विष्णु लौटकर शिवजी से कहा कि वे लाख कोशिश करने के बाद भी ज्योतिर्लिंग का अंत को ढूंढने में असमर्थ रहें.
भगवान शिव अंतर्यामी थे और वे सच जानते थे कि ब्रह्माजी ने केतकी के फूल से अपने पक्ष में झूठ बुलवाया इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया और तभी से ब्रह्माजी चार मुख के हो गए इसके साथ ही भगवान शिव ने केतकी फूल को भी झूठ बोलने के कारण से उसको श्राप देते हुए कहा कि आज के बाद से केतकी के फूल का इस्तेमाल मेरी किसी भी पूजा में नहीं किया जाएगा, मैं इस फूल को कभी भी स्वीकार नहीं करूंगा. इसके बाद भगवान शिव ने कहा कि – मैं ही आदि हूँ और मैं ही अंत भी हूँ, मैं ही सृष्टि का कारण, उत्पत्ति करने वाला और स्वामी हूँ, मुझसे ही आप दोनों की उत्पत्ति हुईं हैं और यह ज्योतिर्लिंग मेरा ही एक स्वरूप है.
इसके बाद ब्रह्माजी को अपनी गलती का अहसास हुआ और फिर उन्होंने और भगवान विष्णु ने मिलकर ज्योतिर्लिंग की आराधना किया किंतु तब से लेकर आज भी भगवान शिव के पूजा में केतकी के फूल को नही अर्पित किया जाता मान्यता है कि भगवान शिव की सावन की पूजा हो या फिर अन्य कोई पूजा केतकी का फूल भगवान शिव पर चढ़ाना पाप तुल्य माना जाता हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) किस फूल को भगवान शिव ने श्राप दिया है ?
केतकी फूल.
2) केतकी का फूल किसके कहने पर झूठ बोला था ?
ब्रह्माजी.
3) किनके बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ा था ?
भगवान विष्णु और ब्रह्माजी.
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