Holashtak 2025 | होलाष्टक शब्द होली और अष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है होली के आठ दिन. होलाष्टक होली से ठीक आठ दिन पहले शुरू हो जाता है धार्मिक मानता है कि आठ दिनों के दौरान कोई भी मांगलिक शुभ कार्य जैसे कि शादी, ब्याह, मुंडन गृह प्रवेश आदि वर्जित माने जाते हैं क्योंकि माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान सभी ग्रह उग्र स्वभाव में होते हैं इसलिए शुभ कार्यों में अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते हैं या फिर कार्यों में बाधा आने लगती हैं.
जानते हैं कि 2025 में कब से शुरू होगा होलाष्टक :
हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर फागुन पूर्णिमा तिथि पर समाप्त होती है. इस साल 2025 में होलाष्टक की शुरुआत होगी 07 मार्च 2025 दिन शुक्रवार से और समापम होगा 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार को जिस दिन होलिका दहन होती हैं.
जानते हैं होलाष्टक के महत्व को :
कहा जाता है कि होलाष्टक के दिनों में वातावरण में नकारात्मकता ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है यही कारण है कि इस दौरान शुभ कार्यों को करने को मनाही होती हैं. धार्मिक मान्यता है की अष्टमी तिथि को चंद्रमा नवमी को सूर्य दशमी को शनि एकादशी को शुक्र द्वादशी को बृहस्पति त्रयोदशी को बुध चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं इसलिए धार्मिक मान्यता कहती है अगर कोई होलाष्टक के दौरान कोई कार्य करता है तो उसे उस कार्य परेशानी आती है या फिर वह कार्य अधूरा रह जाता है.
जानते हैं कि होलाष्टक के दौरान क्या करना चाहिए :
होलाष्टक के दौरान पूजा पाठ करने और जप तप करने का विशेष खास महत्व होता है मान्यता है कि होलाष्टक में भगवान विष्णु और अपने कुल देवी या देवताओं की पूजा अर्चना करने से घर में सुख शांति बनी रहती हैं. होलाष्टक के दौरान ज़रूरमंदों और गरीबों की मदद करने के साथ ही बच्चों को प्यार भी देना चाहिए. माना जाता है कि होलाष्टक ही वह समय अवधि थी जिसमे भक्त प्रह्लाद को उसके पिता हिरण्यकश्यप ने यातनाएं दिया था इसलिए होलाष्टक के दौरान बड़ों का सम्मान और बच्चों से प्रेम स्नेह करना चाहिए.
होलाष्टक के दौरान सुबह की पूजा पाठ के समय भगवान राम व कृष्ण को अबीर गुलाल लगाकर पूजा पाठ और श्रीसूक्त का पाठ करना चाहिए. मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा जलाभिषेक करने के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह की विपत्ति टल जाया करती हैं. होलाष्टक में दान और व्रत का विशेष महत्व होता है माना जाता है कि होलाष्टक के समय वस्त्र, अन्न और धन का दान करने से कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ ही अनुकूल फल प्रदान करता है.
जानते हैं कि होलाष्टक में क्या नहीं करना चाहिए :
1) होलाष्टक के दौरान किसी भी भवन निर्माण या फिर गृह प्रवेश नहीं करना है.
2) होलाष्टक के दौरान घर, जमीन या फिर वाहन को बेचना और खरीदना अशुभ माना जाता है क्योंकि इन कार्यों को करने से अशुभ फल को प्राप्ति होती हैं.
3) होलाष्टक के अवधि में यज्ञ और हवन जैसे धार्मिक अनुष्ठान भी करना चाहिए माना जाता है इस दौरान किसी भी अनुष्ठानों का पूरा फल नहीं मिलता हैं.
4) होलाष्टक में सोना – चांदी के आभूषण और किसी भी प्रकार की कीमती सामान को खरीदने से बचना चाहिए.
5) होलाष्टक में नई दुकान या नई करोबार को शुरू नहीं करना चाहिए यहां तक कि कोई नई नौकरी को भी ज्वाइन करने से बचना चाहिए.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) हिंदी पंचाग के अनुसार होलाष्टक कब से कब तक रहता है ?
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा तक.
2) फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि को कौन ग्रह उग्र हो जाता है ?
चन्द्रमा.
3) होलाष्टक के दौरान किस मंत्र के जाप से विपत्ति टलती है?
महामृत्युंजय मंत्र.
4) फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को कौन ग्रह उग्र हो जाता है ?
शुक्र ग्रह
5) साल 2024 में होलाष्टक कब से कब तक रहेगा ?
17 मार्च 2024 से 24 मार्च 2024 तक.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.