Singheshwar Mahadev Mandir | बिहार के मधेपुरा जिला मुख्यालय से मात्र 06 km की दूरी में बाबा भोले की नगरी सिंहेश्वर में महादेव का अति प्राचीन मंदिर है जिसकी महिमा अद्भुत और निराली है. धार्मिक मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान शिव का दिव्य शिवलिंग स्थापित है जिसका नाम सिंहेश्वर नाथ के नाम पर रखा गया हैं और इसको बिहार का देवघर भी कहा जाता हैं इसके अलावा यह भी मान्यता है कि यह वही पावन भूमि हैं जहां राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी हुई थी तो चलिए जानते हैं बाबा सिंहेश्वर महादेव मंदिर के रहस्यों को.
बाबा सिंहेश्वर महादेव शिवलिंग को स्वयं भगवान विष्णु ने स्थापित किया है :
बाबा सिंहेश्वर के बारे में मान्यता है कि एक बार भगवान शिव कैलाश पर्वत को छोड़कर पृथ्वी पर हिरण का वेश धारण करके चले आएं. भगवान शिव के गायब होने से देवलोक में सभी देवता परेशान थे तभी ब्रह्माजी ने अपनी दिव्यदृष्टि से उनको खोजना आरंभ किया तो उनको ज्ञात हुआ कि भगवान शिव पृथ्वी लोक पर हिरण बनकर घूम रहे. भगवान विष्णु और ब्रह्माजी उनको देवलोक ले जाने के लिए पृथ्वी पर आएं जहां हिरण तो उनको मिला किंतु हिरण रूप धारण किएं भगवान शिव उनके साथ जाने को तैयार नहीं हुए इस पर ब्रह्माजी एवं विष्णु जी उनको जबरन ले जाने चाहा और दोनों देवताओं ने मिलकर हिरण के दोनों सींगको पकड़ लिया लेकिन हिरण गायब हो और फिर आकाशवाणी हुआ कि भगवान शिव आपको नहीं मिलेंगे. कहा जाता हैं कि भगवान विष्णु के द्वारा स्थापित सिंग ही शिवलिंग का एक रूप बाबा सिंहेश्वर नाथ हैं और यह शिवलिंग तीन भागों में विभक्त हैं जो कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों रूप में स्थापित है.
यहां हुई थी राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी :
पौराणिक मान्यता है कि यह वही पावन भूमि हैं जहां पर राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी हुई थी. कहा जाता हैं कि सिंहेश्वर स्थान का नाम ऋषि श्रृंग के नाम पर पड़ा है क्योंकि श्रृंग ऋषि ने यहीं कोशी नदी के किनारे बसे तपोभूमि पर राजा दशरथ के लिए पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया था और इसी यज्ञ से मिले खीर को खाने के पश्चात राजा दशरथ की तीनों रानी गर्भवती हुई और राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ. माना जाता है कि सिंहेश्वर मंदिर से मात्र डेढ़ किलोमीटर पर गांव सतोखर हैं जहां पर स्थित सात पोखर को हवन कुंड माना जाता हैं. सिंहेश्वर स्थान पर चूंकि राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी हुई थी इसीलिए इसको कामना लिंग भी कहा जाता हैं. यहां दूर – दूर से लाखों श्रद्धालु संतान प्राप्ति के लिए विशेषकर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना लेकर बाबा सिंहेश्वर महादेव के दरबार आते हैं और लोगों की आस्था एवं विश्वास है कि बाबा के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा हैं सिंहेश्वर बाबा सबकी कामना पूरी करते हैं.
पवित्र सावन माह में सिंहेश्वर महोत्सव :
सिंहेश्वर मंदिर में वैसे तो साल भर श्रद्धालुओं का आगमन होता रहता है लेकिन पवित्र सावन माह के मौके पर बाबा के दर्शन और जलाभिषेक के लिए लाखों श्रद्धालुओं की यहां तक कि नेपाल से भी श्रद्धालु की भीड़ पूरे सावन माह में उमड़ती हैं तो वहीं महाशिवरात्रि के मौके पर एक महीने का मेला लगता है जो सिंहेश्वर महोत्सव के नाम से जाना जाता हैं और यह मेला बिहार के बड़े मेलों में से एक हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) बाबा सिंहेश्वर मंदिर किस राज्य में स्थित हैं ?
बिहार.
2) सिंहेश्वर मंदिर में स्थित शिवलिंग को किसने स्थापित किया है ?
भगवान विष्णु.
3) बिहार का देवघर किस स्थान को कहा जाता हैं ?
सिंहेश्वर स्थान.
4) सिंहेश्वर स्थान बिहार के किस जिले में है ?
मधेपुरा
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.