Moksha Nagari Gaya | हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध को आवश्यक माना गया हैं. धार्मिक मान्यता हैं कि अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण नहीं किया जाता हैं तो उसे इस लोक से मुक्ति नही मिलती हैं. श्राद्ध के लिए प्रमुख महत्वपूर्ण स्थानों में से सर्वोपरि स्थान “गया” को कहा जाता हैं. गया (Gaya), भारत के बिहार राज्य का एक जिला है. कहा जाता हैं कि गया वह आता है जो अपने पितरों की मुक्ति चाहता है. लोग गया में अपने पितरों या फिर मृतक की आत्मा को हमेशा के लिए मोक्ष की प्राप्ति के लिए छोड़कर चले जाते हैं. मोक्ष प्राप्ति के लिए गया में किसी भी मृतक की मृत्यु के तीसरे साल श्राद्ध किया जाता है और गया में किए गए श्राद्ध और तर्पण के बाद उस मृतक की कभी भी श्राद्ध नहीं किया जाता है उसे हमेशा के लिए मोक्ष यानि कि मुक्ति प्राप्त हो जाता है. मान्यता है कि भगवान राम और सीता ने गया में ही राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था. विष्णु पुराण के अनुसार गया भगवान विष्णु का नगर कहलाती हैं जिसे मोक्ष की भूमि कही गई हैं.
Moksha Nagari Gaya | इस पौराणिक कथा से जानते हैं कि गया कैसे बना मोक्ष नगरी –
श्रीमद्भागवत पुराण की कथानुसार वर्षों पहले गया नामक एक राजा थे जोकि भगवान विष्णु के परम भक्त थे. एक बार वह जंगल शिकार करने गए जहाँ उन्होंने हिरण को मारने के लिए तीर चलाया, जो गलती से हिरण की बजाय एक ब्राह्मण को जा लगा. इस पर उस ब्राह्मण ने क्रोधित होकर राजा को श्राप दिया कि तुम राजा होकर असुरों जैसा कार्य किया है इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूँ कि तुम असुर योनि में जन्म लो. श्राप मिलते ही पांच कोस तक राजा का शरीर फैल गया और राजा गया बना “गयासुर” किन्तु वह भगवान विष्णु का परम भक्त था जिसके कारण उसके मन में किसी तरह की आसुरी प्रवृत्ति हावी नहीं हो पाई और वह अपना राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए.
गयासुर जंगल जाकर कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और यह वरदान मांगा कि उसका केवल दर्शन मात्र से ही पापी से पापी लोगों का उद्धार हो जाए और गयासुर को इस वरदान की प्राप्ति हो गई. अब तो असुरों में खुशियां छा गई वह सारी उम्र तो पाप और बुरा करते लेकिन अंतिम समय में गयासुर का दर्शन करके पापमुक्त होकर पुण्य लोक को प्राप्त कर लेता और ऐसा लगातार होने पर स्वर्ग व नरक का संतुलन बिगड़ने लगा, पापी से पापी असुर स्वर्ग को प्राप्त करने लगे. इस विकट समस्या को लेकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उनको इस समस्या से अवगत करवाया और गयासुर से मुक्ति की प्रार्थना की.
भगवान विष्णु देवताओं की समस्या और स्वर्ग नरक के बिगड़ते संतुलन को देखने के बाद गयासुर के पास पहुंचे और उससे कहा कि मुझे एक यज्ञ करना है जिसके लिए तुम कोई पवित्र स्थान बताओ इस पर गयासुर ने कहा हे प्रभु! पापी से पापी लोग जिस व्यक्ति के दर्शन मात्र से ही पाप से मुक्त हो जाते हैं उससे अधिक पवित्र स्थान क्या हो सकता है? प्रभु आप मेरे ऊपर ही यज्ञ करें. तब भगवान विष्णु ने गयासुर के वक्षस्थल पर यज्ञ कुंड रखकर यज्ञ किया और यज्ञ के साथ ही गयासुर को मारने के कई प्रत्यन किये किन्तु उसकी मौत नही हुई. तब भगवान विष्णु ने गयासुर से कहा गयासुर तुमने कोई पाप नही किया किन्तु तुम्हारे वजह से पापी असुर भी स्वर्ग को प्राप्त कर रहे हैं ऐसे में स्वर्ग नरक का संतुलन बिगड़ रहा है इसलिए अब मुझे तुम्हें मारना होगा, तब गयासुर ने कहा कि हे प्रभु! अगर आप मेरी पूजा से प्रसन्न हो तो मेरी सिर्फ दो इच्छायं पूरी कर दीजिए, स्वतः ही मेरी मृत्यु हो जाएगी इससे आपके ऊपर मेरी मृत्यु का कोई आरोप नही लगेगा यह सुनकर भगवान विष्णु ने उसकी इच्छाओं को पूछा. तब गयासुर ने अपनी पहली इच्छा बताई कि आपके यज्ञ व हवन करते समय प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से जितने भी देवी – देवता मुझमें वास कर रहे थे वो मुझमें तब तक रहेंगे जब तक सूरज – चांद रहेंगे.
भगवान विष्णु ने यह इच्छा पूरी करने के बाद दूसरी इच्छा को पूछा. गयासुर ने अपनी दूसरी इच्छा बताते हुए कहा कि मेरी दूसरी इच्छा यह है कि वैसे तो श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिल जाती हैं किन्तु अगर कोई नहीं कर पाए या फिर समर्थ नही है तो वो यदि सच्चे मन से मेरे धाम आकर कह दे कि हे भगवान मेरे पितरेश्वरों को मुक्ति प्रदान करें तो आप उनके पितरेश्वरों को मुक्ति प्रदान कर देंगे तब भगवान विष्णु ने तथास्तु कहकर गयासुर की दूसरी इच्छा पूरी कर दिया इसके बाद गयासुर ने अपना शरीर त्याग दिया. तब से यह मान्यता है कि गया में पितरों की श्राद्ध या फिर मुक्ति के लिए केवल प्रार्थना भी कर ली जाए तो पितरों को मुक्ति मिल जाती हैं. इन्ही कारणों से गया मोक्ष नगरी कहलाई (Moksha Nagari Gaya).
उम्मीद है कि आप गया मोक्ष नगरी क्यों कहलाती हैं इस लेख को पढ़ने के बाद जान ही चुके होंगे तो जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा इस लेख को शेयर करें और ऐसे ही और भी लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहे madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
गया को किस नगरी के नाम से जाना जाता हैं ?
मोक्ष नगरी
भगवान राम और सीता ने गया में किसका श्राद्ध किया था ?
राजा दशरथ.
गयासुर ने किस्से वरदान को पाया था ?
ब्रह्मा जी.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.